Makar Sankranti 2023: माघ के पावन माह में मनाया जाने वाला बेहद खास पर्व कहलाता है मकर संक्रांति।इस वर्ष ये पर्व 15 जनवरी 23 को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।वैसे तो इस पर्व के कई नाम हैं, लेकिन इसका सबसे प्रचलित नाम जोकि पूरे उत्तर भारत और पश्चिमी बिहार में जाना जाता है वह है खिचड़ी पर्व।
इस दिन खिचड़ी खाने, दान करने और स्नान का बहुत महत्व होता है।मकर संक्रांति भारत ही नहीं बल्कि नेपाल भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाला पर्व है।
इस वर्ष संक्रांति का पर्व 14 की बजाय 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। ज्योतिष मतानुसार 14 जनवरी को रात्रि 8.45 बजे से संक्रांति पर्व शुरू होने जा रहा है।जोकि अगले पूरे दिन तक रहेगी।लिहाजा सनातन संस्कृति के अनुसार इसे अगले दिन यानी उदया तिथि में मनाया जाएगा।ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे तापमान में सुधार आने के साथ मौसम थोड़ा बेहतर होगा।
Makar Sankranti 2023: जानिए अलग-अलग राज्यों में इस पर्व को किस नाम से पुकारते हैं?
मकर संक्रांति उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व, उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, असम में बिहू, पंजाब में फसल काटने का पर्व, बिहार में खिचड़ी पर्व और तिल संक्रांत और तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम भी जाना जाता है।
Makar Sankranti 2023: गंगा स्नान का है बेहद महत्व
Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति के बारे में बताते हुए रोहिणी के मशहूर ज्योतिष एवं अयोध्यावासी पंडित रामकृष्ण चतुर्वेदी बताते हैं कि इसी दिन मां गंगा सागर में जाकर मिलीं थीं। इसीलिए इस दिन का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है।यही वजह है कि इस दिन लोग स्नान और दान आदि करते हैं।
खासतौर से देश के सभी धार्मिक स्थलों एवं पवित्र नदी तट पर सुबह से आस्था का सैलाब उमड़ता है। लोग गंगा जी में डुबकी लगाकर अपनी भूलों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना करते हैं। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना भी करते हैं।
इसके बाद घर पर पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद खिचड़ी पकाई जाती है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर भोजन करते हैं। इसी दिन लोग तिल और गुड़ का दान भी करते हैं, जो सर्वोत्तम दान बताया गया है।
मशहूर ज्योतिष एवं अयोध्यावासी पंडित रामकृष्ण चतुर्वेदी के अनुसार गुड़ एवं तिल दान करने, कंबल दान करने और निर्धन की मदद करने मात्र से मनुष्य को शुभ फल की प्राप्ति होती है।बिहार राज्य में मकर संक्रांति को तिल संक्रांत या दही चूड़ा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन उड़द की दाल, तिल, चावल आदि दान भी दिया जाता है।
Makar Sankranti 2023:गंगासागर पर मेले की रौनक
Makar Sankranti 2023: बंगाल स्थित गंगासागर पर मकर संक्रांति के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है।शास्त्रों के अनुसार यशोदा माता ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था।
इसी दिन मां गंगा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सागर में जाकर मिल गई थी।इसी वजह से हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर पर जनसैलाब उमड़ता है। स्नान और पूजन के बाद मेले का लुत्फ भी उठाता है।
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