महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में बड़े धूमधाम से किया जा रहा है। इसकी शुरुआत मकर संक्रांति के दिन हुई थी, और अब महाशिवरात्रि के अवसर पर इसका समापन होगा। महाशिवरात्रि को भगवान शिव को समर्पित पर्व माना जाता है, और इस दिन गंगा स्नान करने से असीम पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन यदि कोई श्रद्धालु महाशिवरात्रि के दिन संगम में स्नान नहीं कर पाता है, तो उसके लिए अन्य महत्वपूर्ण तिथियां भी उपलब्ध हैं जब स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि से पहले महाकुंभ में स्नान के लिए कौन-सी तिथियां महत्वपूर्ण हैं।
महाकुंभ में स्नान के महत्वपूर्ण दिन
- विजया एकादशी (24 फरवरी 2025)विजया एकादशी का दिन हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। महाकुंभ में इस दिन स्नान करना श्रीहरि विष्णु की कृपा पाने का सबसे उत्तम उपाय माना जाता है। तीर्थ नगरी में इस दिन गंगाजल से भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करना अत्यधिक फलदायी होता है। इसके अलावा, इस दिन दान करने से हजारों गुना पुण्य प्राप्त होता है।
- फाल्गुन कृष्ण प्रदोष व्रत (25 फरवरी 2025)फाल्गुन कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन गंगा में स्नान कर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। श्रद्धालु यदि इस दिन महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाते हैं और गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं, तो उन्हें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा और गंगा आरती करना भी शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि 2025 का स्नान मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट, रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं। संगम तट पर इस दिन लाखों श्रद्धालु पुण्य प्राप्ति के लिए गंगा स्नान करते हैं।
स्नान के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:09 – सुबह 05:59
- अमृत काल मुहूर्त: सुबह 07:28 – सुबह 09:00
- शुभ मुहूर्त: सुबह 11:08 – दोपहर 12:34
महाशिवरात्रि के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से शिव कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त संकट समाप्त हो जाते हैं।
महाकुंभ स्नान का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
गंगा में स्नान करने को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इससे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गंगाजल में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को शुद्ध और ऊर्जावान बनाते हैं।
महाकुंभ 2025 के दौरान यदि आप महाशिवरात्रि पर स्नान नहीं कर सकते हैं, तो 24 फरवरी (विजया एकादशी) और 25 फरवरी (प्रदोष व्रत) के दिन भी गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन तिथियों पर गंगा स्नान और भगवान शिव का जलाभिषेक करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। किसी भी प्रकार की धार्मिक परंपरा को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।