सनातन धर्म में हर माह और हर दिन का अलग ही महत्व है। परंतु हिंदू धर्म में माघ माह को सबसे लाभकारी माना गया है। कहानियों के अनुसार इस माह में किए गए पुण्य के कार्यों का फल हमेशा कई जन्मों तक प्राप्त होता है। हिंदू पंचाग के अनुसार, माघ 11वां महीना है और पौष के बाद इस महीने का प्रारंभ होता है।
प्रारंभ हो चुके माघ माह के बारे में पुराणों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति जरूरतमंद की मदद करता है और ब्रह्मावैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। साथ ही ये भी कहा गया है कि, इस माह में गंगा में स्नान करने से सभी पाप धूल जाते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
प्राचीन पुराणों में यहां तक कहा गया है कि भगवान नारायण को प्राप्त करने के लिए सबसे सुगम रास्ता माघ मास के पुण्य काल में पवित्र नदियों में स्नान करना है। साथ ही इस में मास में जीवन को सुख-शांति और समृद्धि प्राप्ति करने के लिए कुछ उपाय भी बताए हैं। इनमें उपायों के करने से मानसिक शांति भी मिलती है।
गीता का पाठ
माघ माह में नियमति रूप से गीता का पाठ करने से मन से सभी नकारात्मक उर्जा खत्म होती है। और भग्य साथ देना शुरू करता है। वहीं गीता का ध्यान से पाठ करने पर मन को शांति मिलती है। साथ ही सोचने समझने की बुद्धि बढ़ती है।
भगवान विष्णु
भगवान विष्णु को नियमित तिल अर्पित करें। इस महीने में तिल से भगवान की पूजा और तिल बोलने मात्र से पाप का प्रभाव तिल-तिल कर क्षय होने लगता है। नियमित तिल खाने और जल में तिल डालकर स्नान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
दीप करें प्रज्वलित
इस माह में सुबह-सबेरे प्रभु विष्णु और तुलसी को रोजाना जल अर्पित और दीप प्रज्वलित करना चाहिए इससे सभी दोश मुक्त होते हैं। साथ ही आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। साथ ही श्रीहरि की कृपा से घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
गरम कपड़े करें दान
इस माह को दान का माह भी कहा गया है। दान का काम सबसे लाभकारी होता है। किसी दुखिया को गरम कपड़े दान करने से देवी-देवताओं का आशीवार्द मिलता है। बिगडे काम भी बन जाते हैं।
गंगा स्नान
माघ मास में गंगा स्नान का भी बड़ा ही महत्व है। इस वर्ष हरिद्वार में कुंभ भी लगा है। अगर आप चाहे हैं तो कुंभ में भी डुबकी लगा सकते हैं अथवा घर पर भी जल में गंगाजल मिलाकर गंगा माता का ध्यान करते हुए स्नान करें तो यह भी पुण्यदायी होगा।
मूली का सेवन करें बंद
शास्त्रों के अनुसार, मूली को मदिरा कहा गया है। है इसलिए इस मास में मूली का उपायोग न तो देव और न ही पितृकार्यों में प्रयोग करना चाहिए। इस मास में पवित्र कार्यों तिल का प्रयोग करें। माघ में मूली का सेवन नहीं करना चाहिए और मदिरा को दूर ही रखें।