Holi 2023 Date: भारत त्योहारों और संस्कृतियों का देश है। भारत में हर त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। अब बात अगर होली की करें तो होली सबसे बेस्ट फेस्टिवल में से एक है। होली की खासबात ये है कि इसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भूलाकर एक हो जाते है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल कब है होलिका दहन और होली का त्योहार?

Holi 2023 Date: होली 2023 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 7 मार्च 2023 को होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन 8 मार्च 2023 को होली खेली जाएगी।
होली का इतिहास क्या है?
होली का त्योहार काफी प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की सबसे पसंदीदा त्योहार होली थी। इसका वर्णन भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों में भी किया गया है। होली से एक दिन पहले पार्कों, सामुदायिक केन्द्रों, मंदिर परिसर आदि में होलिका दहन की जाती है। हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इसे छोटी होली भी कहा जाता है। साथ ही लोग इस दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं जैसे गुजिया, मिठाई, मठ्ठी, मालपुआ, चिप्स आदि।

होली की सबसे प्रमुख कहानी प्रह्लाद और हिरण्कश्यप की है। ऐसा माना जाता है कि हिरण्कश्यप एक महाबलशाली राक्षस था जिसे ब्रह्म देव से वरदान मिल चुका था। इस वरदान के कारण यह असुर काफी ज्यादा घमंडी हो गया था। ब्रह्म देव ने हिरण्कश्यप को यह वरदान दिया था कि उसे न नर मार पाएगा न ही जानवर, न आकाश में न पाताल में, न दिन में न रात में, न ही घर में और न ही बाहर। इसके बाद से वह खुद को ही देवता मानने लगा। हिरण्कश्यप का एक पुत्र था प्रह्लाद, वह बचपन से ही भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्कश्यप ने बहुत प्रयास किया कि उसका बेटा भगवान की पूजा करना छोड़ दें लेकिन वो हर बार असफल रहता था। उसे अपने पुत्र से नफरत हो गई थी।
हिरण्कश्यप ने बहन होलिका को आदेश दिया कि वो चादर ओढ़कर आग के बीच में प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ जाएं जिसमें चादर की वजह से वह तो बच जाएगी पर उसका बेटा जल कर मर जाएगा। अपने भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसके चारों ओर आग की लपटें फैला दी गई। प्रह्लाद लगातार भगवान विष्णु का जाप करता रहा और भगवान के आशीर्वाद से एक तेज तूफान आया। इस तूफान की वजह से वो चादर होलिका के शरीर से उड़ कर प्रह्लाद पर आ गई जिससे होलिका जल कर राख हो गई।
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