आज पूरे देश में Diwali का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सभी अपने परिवार के साथ मिलकर दीप जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। सभी अपने-अपने घरों को बहुत ही खूबसूरती से सजाते हैं। इस दिन कई लोग अपने घर के मुख्य के द्वार पर गेंदें के फूल, आम के पत्ते और अशोक के पत्तों का तोरण बनाकर लगाते हैं। तोरण हिंदू धर्म का आवश्यक अंग है जिसे विवाह, पूजा या किसी अन्य धार्मिक प्रयोजन के लिए बनाया जाता है।
Diwali के दिन क्यों लगाए जाते हैं गेंदे के फूल
हिन्दु धर्म में गेंदे के फूल को सूर्य का प्रतीक माना जाता है। इसे दिव्य शक्तियों में सत्यता का प्रतीक भी माना जाता है। कहा जाता है भगवान को लाल और पीले रंग के फूल बहुत पसंद होते हैं। साथ ही कहते हैं कि गेंदे के फूलों की सुगंध घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को प्रवेश करने से रोकती हैं।

Diwali के दिन तोरण में होता है आम के पल्लवों का प्रयोग
हिंदू धर्म में आम के पल्लव का प्रयोग सभी शुभ कार्यों में किया जाता है। आम की पत्तियां धन की देवी मां लक्ष्मी को भी प्रदर्शित करती हैं। यह घर से नकारात्मक उर्जा को बाहर करती है। कहा जाता है जिस घर के मुख्य द्वार पर आम के पल्लव लगे होते हैं उस घर में मां लक्ष्मी जल्दी पधारती हैं।
अशोक के पत्तों के पीछे है पौराणिक कहानी
कहा जाता है Diwali के दिन पूजा के समय अशोक के पत्ते इसलिए इस्तेमाल किए जाते हैं क्योंकि यह माता सीता को काफी प्रिय थे। मान्यताओं के अनुसार जब रावण माता सीता को अपने महल ले गया था उसके बाद से माता सीता एक अशोक के पेड़ के नीचे ही बैठकर भगवान राम को याद करती थी। माता सीता ने अपना सारा समय उसी अशोक के पेड़ के नीचे बिताया था। उन्हें इस पेड़ से काफी लगाव हो गया था।

माता सीता को मानना था कि इसी पेड़ ने उनकी हर परिस्थिती में रक्षा की है। इसलिए जब तौजह वर्षों का वनवास पूरा कर के माता सीता भगवान राम के साथ अयोध्या वापस आई थीं तो वो अपने साथ अशोक का पौधा लेकर आई थी और उसे अपने महल के बगीचे में लगाया था। इसलिए जब भी Diwali मनाई जाती है तो अशोक के पत्तों का प्रयोग जरूर किया जाता है।
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