Diwali 2022: सागर मंथन के बाद श्रीलक्ष्मी जी की प्राप्त हुईं।इनके साथ ही निकले कई अनमोल रत्न जिसमें धनवंतरि भगवान, कामधेनू गाय और कल्पवृक्ष।देवी लक्ष्मी का विवाह भगवान श्री विष्णु जी के साथ हुआ।मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु से विवाह के बाद उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। देवी लक्ष्मी को बेहद अहम जिम्मेदारी सौंपी गई।पूरी सृष्टि के आर्थिक रूप से संचालन में उनका महत्व काफी बढ़ गया।ऐसे में उन्होंने अपने परम भक्त भगवान कुबेर को धन वितरण एवं प्रबंधन का दायित्व सौंपा। लेकिन कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बांटते नहीं थे, खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए। धन के ठीक तरह से वितरण नहीं होने से जनता के बीच असंतोष पनपने लगा। इसी बात से जुड़ी आज हम आपको एक कहानी सुनाने जा रहा हैं। जिसके माध्यम से भगवान गणेश को भी मां लक्ष्मी के साथ दीवाली पूजन में रखने की परंपरा की शुरुआत हुई।
Diwali 2022: जानिए कैसे मां लक्ष्मी ने धन का वितरक बदला?
पृथ्वी जनों में व्याप्त असंतोष को देखकर जब देवी माता लक्ष्मी परेशान हो गईं।उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई।भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि तुम अपना धन प्रबंधक को बदलो।इतना सुनकर मां लक्ष्मी बोलीं, यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। मां लक्ष्मी ने गणेश जी को धन का विरतक बनने को कहा, गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान, वे बोले, मां, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु, परंतु नहीं। ऐसा सुनते ही देवी लक्ष्मी ने हामी भर दी। अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/ रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।
Diwali 2022: भगवान गणेश बने धन के वितरणकर्ता, कुबेर भंडारी
देवी लक्ष्मी की अपार कृपा से भगवान गणेश जी धन के वितरणकर्ता बने, गणेश जी की दरियादिली देख मां लक्ष्मी ने अपने भतीजे/ भांजे/ मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहां वे अपने पति नारायण के संग ना हों, वहां उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें। यही वजह है कि कार्तिक अमावस को जब दीवाली आती है भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं। वह दीवाली के ठीक 11 दिन बाद देवउठनी एकादशी को जाग्रत होते हैं। वहीं मां लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के 15 दिन। इस दौरान वह अपने संग श्रीगणेश जी को साथ लेकर आतीं हैं और इसलिए दीवाली को लक्ष्मी और गणेश की पूजा का विधान होता है।
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