Astro: ज्योषिशास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियों में ग्रहों का काफी असर पड़ता है।राशियों में ग्रह कभी सीधी तो कभी उल्टी चाल चलते हैं। जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है।इसी प्रकार कुल 27 नक्षत्रों का प्रभाव भी हमारे ऊपर पड़ता है। वक्री का अर्थ होता है उल्टा। ग्रह वक्री अवस्था में उल्टे चलते प्रतीत होते हैं,जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता।
ग्रह चलते तो सीधे हैं, लेकिन सूर्य से एक विशेष दूरी पर आने पर यह विपरीत दिशा में चलते दिखाई देते हैं।यही ग्रहों की वक्री स्थिति कहलाती है। जब कोई ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट हाता है। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा मार्गी स्थिति में माने जाते हैं। वहीं राहू और केतु सदैव वक्री रहते हैं।
Astro: जानिए किस ग्रह के वक्री होने पर क्या होता है असर?
Astro: मंगल-मंगल का वक्री स्थिति में होना व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर सर्वाधिक असर डालता है। यौन सुख पर असर पड़ता है।वक्री मंगल के प्रभाव से व्यक्ति झूठे मुकदमों, पारिवारिक कलह में उलझता है।महिलाओं की जन्म कुंडली में वक्री मंगल आमतौर पर उन्हें पुरुषों के गुण प्रदान करता है।
बुध-बुध के वक्री होने की स्थिति में अक्सर जातक गलत निर्णय लेता है।ऐसे में जातकों को कोई नहीं नया काम हाथ में लेने से बचना चाहिए।वक्री बुध होने से परिवार, समाज और कार्यस्थल पर अपमान का सामना भी करना पड़ता है।
बृहस्पति- बृहस्पति का वक्री होना बेहद शुभ माना गया है।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बृहस्पति जिस भाव में वक्री होता है।उस भाव के फलादेश में उसे अनुकूल फल की प्राप्ति होती है।इस दौरान जातक अपने परिवार, देश, संतान, जिम्मेदारियों और धर्म के प्रति अधिक संवेदनशील और चिंतित होकर शुभ कार्यों में प्रवृत होता है।
शुक्र-शुक्र की वक्री स्थिति में जातक को शुभ और अशुभ दोनों की फलों की प्राप्ति होती है।कुंडली में वक्री शुक्र से जातक धार्मिक प्रवृत्ति का हो जाता है।उसकी लोकप्रियता बढ़ती है।लेकिन ध्यान रखें कि जब शुक्र गोचर वश वक्री होता है, तो अशुभ फल देने लगता है।
शनि- शनि के वक्री होने पर जातक युवावस्था में स्वभाव से स्वार्थी और हर किसी पर शक करने वाले होते हैं।ऐसे लोगों के अंदर दिखावे की आदत बढ़ने लगती है।बेशक ऐसे जातक बाहर से सिद्धांतवादी बनें,लेकिन अंदर से बेहद सिद्धांतहीन होते हैं।
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