Ashadha Amavasya 2023: 18 जून यानी आज आषाढ़ अमावस्या है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन कई धार्मिक कार्यों और पूजा का आयोजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए उपायों से पितृदेवों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर दान दिया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
इस दिन कई जगहों पर आषाढ़ अमावस्या के दिन धार्मिक मेले और पंडालों का आयोजन किया जाता है। आज के दिन भंडारा, प्रवचन, भजन-कीर्तन और कई धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। तो आइए जान लेते हैं यह अमावस्या क्यों है खास और क्या करने से मिलेगी पूर्वजों का आर्शीवाद…

Ashadha Amavasya का क्यों है विशेष महत्व?
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए किए जाने वाला तर्पण बहुत लाभदायक माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आर्शीवाद प्रपति होती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है। इससे शरीर की शुद्धि और आत्मिक उन्नति होती है। आषाढ़ अमावस्या पर धर्मिक दान करना भी शुभ माना जाता है। विद्या दान, अन्न दान और वस्त्र दान जैसे विभिन्न प्रकार के दान आषाढ़ अमावस्या पर किए जाते हैं।

तरक्की के लिए Ashadha Amavasya के दिन इस तरह करें पूजा-अर्चना
इस दिन स्नान के लिए पवित्र नदी,तालाब, या घाट पर जाएं और शुद्ध जल से स्नान करें। इससे मन और शरीर की शुद्धि होती है। अगर ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा से गंगाजल मिला लें। स्नान के पाद पूजा की तैयारी करें। इसके लिए पूजा मंडप तैयार करें। अब दीपक, कलश, पूजा थाली, दिया, फूल, अर्क, धूप, चंदन, कपूर, सुपारी, फल, पुष्प, गुड़, घी, और नैवेद्य सामग्री एकत्रित कर लें।
अपने पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। इसके बाद कलश स्थापना करें। कलश में जल, फूल, सुपारी, चंदन, कपूर, नारियल, अर्क, धूप, और दीपक स्थापित करें। मंत्रों का जाप करें और देवी-देवताओं की आराधना करें। दीपक और धूप जलाएं। अपने मन में पितृदेवों के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करें और उनसे आशीर्वाद मांगें। पूजा के बाद, प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए करें उपवास
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना चाहिए और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना चाहिए। पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी यह दिन उत्तम होता है। इस दिन किए गए इन कार्यों से पितरों से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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