उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मी तेज़ हो चुकी है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने और वादों की झड़ी लगाने में जुट गए हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीते 10 दिनों में तीन बड़े ऐलान करके सियासी हलचल मचा दी है।
सोने की मूर्तियों की सियासत में उतरे अखिलेश
बीते कुछ दिनों में अखिलेश यादव ने अलग-अलग अवसरों पर समाज के ऐतिहासिक नायकों की सोने की मूर्तियाँ स्थापित करने की बात कही है। रविवार को कन्नौज में अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर उन्होंने ऐलान किया कि अगर सपा सरकार में आती है तो वहां सम्राट हर्षवर्धन की सोने की प्रतिमा लगाई जाएगी। अखिलेश का यह बयान उस समय आया जब कन्नौज में एक चौराहे का नाम अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर रखने की घोषणा की गई है।
सुहेलदेव और शिवाजी को लेकर भी बड़े ऐलान
हाल ही में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया, तो अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी सरकार बनने पर लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर महाराजा सुहेलदेव की सोने की मूर्ति लगाई जाएगी।
इसी कड़ी में 6 जून को उन्होंने आगरा में शिवाजी महाराज के सम्मान में एक भव्य संग्रहालय बनाने और लखनऊ में सोने के सिंहासन पर बैठी उनकी प्रतिमा लगाने की घोषणा भी की।
बीजेपी की रणनीति को तोड़ने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव, भाजपा की आइडेंटिटी पॉलिटिक्स की काट ढूंढ रहे हैं। जहां बीजेपी बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा लगाकर राजभर समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है, वहीं सपा की कोशिश है कि यह रणनीति भाजपा के लिए सफल न हो।
राजभर वोट बैंक पर सीधी लड़ाई
राजभर समुदाय पर बीजेपी और सपा दोनों की नजर है। माना जाता है कि यूपी के 18 जिलों और 30 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का निर्णायक असर है। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा की सीटों में इज़ाफा सुभासपा के साथ गठबंधन के चलते हुआ था। ऐसे में बीजेपी इस वोट बैंक को फिर से अपनी तरफ मोड़ना चाहती है, जबकि सपा बिखराव रोकने के लिए कोशिशें तेज़ कर चुकी है।
बीजेपी के शिवाजी कार्ड पर जवाब
आगरा में बीजेपी की ओर से शिवाजी महाराज को लेकर किए गए सियासी ऐलानों के जवाब में अखिलेश यादव का लखनऊ में शिवाजी की प्रतिमा लगाने का ऐलान, भाजपा को उसी के मुद्दे पर घेरने की रणनीति मानी जा रही है।
डिप्टी सीएम केशव मौर्य का पलटवार
अखिलेश यादव के ऐलानों पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा: “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 2025 में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी की 300वीं जयंती को ऐतिहासिक गरिमा के साथ मनाया — तभी नींद से जागे सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव! अब 2027 विधानसभा चुनाव निकट देखकर ‘सोने की मूर्ति’ का झुनझुना बजा रहे हैं।
2012–17 में CM थे, तब दलितों–पिछड़ों के महापुरुषों का अपमान किया, तब इनकी याद क्यों नहीं आई? अब जब 2047 तक सत्ता सपना लग रही है, तो जुमलों से जनता को गुमराह कर रहे हो।”
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव की ‘सोने की रणनीति’ यूपी की राजनीति में सपा को सत्ता की ओर ले जाती है या यह सिर्फ सियासी घोषणाओं तक सिमटकर रह जाती है। फिलहाल, प्रतीकवाद की इस लड़ाई में मूर्तियों की राजनीति ज़ोरों पर है।