Uttarakhand Politics: उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक बड़ा फैसला सामने आया है। राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जहां सत्तारूढ़ दल इसे “सकारात्मक कदम” बता रहा है, वहीं विपक्ष ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं।
राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अब यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा, जिसके तहत राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और सशक्त करने के प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, इस पर राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है।
विपक्ष ने उठाए सवाल, हरीश रावत ने सरकार की नीयत पर की टिप्पणी
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “सरकार ने विधेयक को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन इसकी मंशा स्पष्ट नहीं है।” उन्होंने कहा कि सरकार पिछले तीन वर्षों से मदरसों के आधुनिकीकरण की बातें करती आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।
पूर्व सीएम ने आगे कहा, “किसी भी वर्ग या समुदाय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन सरकार की योजनाएं सिर्फ कागज़ों पर चल रही हैं। चाहे अनुसूचित जाति-जनजाति के कल्याण की योजनाएं हों या अल्पसंख्यकों के लिए कार्यक्रम, कोई भी पहल धरातल पर प्रभावी नहीं दिख रही।”
BJP ने बताया बड़ा और सकारात्मक फैसला
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस विधेयक का स्वागत किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा, “यह राज्य सरकार का एक बड़ा और सकारात्मक फैसला है, जिससे अल्पसंख्यक वर्ग को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर मिल सकेंगे।” उन्होंने कहा कि यह विधेयक उत्तराखंड की समावेशी शिक्षा नीति को और सशक्त करेगा।
राज्य में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विधेयक के क्रियान्वयन के बाद शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक सुधार कितनी तेजी से होते हैं।