कांग्रेस में मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी कांग्रेस उन स्तंभों में से हैं जिनके नाम और काम के द्वारा कांग्रेस गौरवान्वित होती रही है। दोनों ही अर्थशास्त्र के ज्ञाता हैं, लेकिन एक गांधी परिवार के करीब तो दूसरा थोड़ा दूर।
प्रणब मुखर्जी की नई किताब ‘कोएलिशन ईयर्स (1996-2012)’ कुछ ऐसी ही बाते बताती हैं। इस किताब में उन्होंने लिखा है कि 2012 में जब वह सोनिया गांधी से मिल कर आए थे तो उन्हें लगा था कि देश के अगले प्रधानमंत्री वह होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मनमोहन सिंह को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री बनाए रखा।
शुक्रवार को दिल्ली में इस किताब का विमोचन किया गया। उन्होंने इस किताब में 2012 राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र करते हुए लिखा कि दो जून, 2012 को वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए गए। उस वक्त राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी थीं। मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी ने कहा, ”प्रणबजी आप इस पद के लिए सबसे योग्य शख्स हैं लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार चलाने में आपकी भूमिका बेहद अहम है। लिहाजा कोई वैकल्पिक नाम सुझाएं?”
प्रणब मुखर्जी ने आगे किताब में लिखा कि, ”मीटिंग खत्म होने के बाद मुझे लगा कि सोनिया गांधी यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए मनमोहन सिंह के नाम पर विचार कर रही हैं। मैंने सोचा कि यदि मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाएगा तो वह मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए चुन सकती हैं। मैंने इस बारे में भी चर्चा सुनी कि कौशांबी पहाडि़यों में छुट्टियां बिताने के दौरान भी उन्होंने इस विचार पर मंथन किया।”
इस अवसर पर तीन मूर्ति सभागार में मौजूद मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के मामले में उनके पास तो कोई विकल्प ही नहीं बचा था और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस बात को अच्छी तरह जानते थे।
मनमोहन ने वर्ष 2004 में अपने प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना और प्रणबजी मेरे बहुत ही प्रतिष्ठित सहयोगी थे। उन्होंने कहा, ‘‘इनके (मुखर्जी के) पास यह शिकायत करने के सभी कारण थे कि मेरे प्रधानमंत्री बनने की तुलना में वह इस पद (प्रधानमंत्री) के लिए अधिक योग्य हैं। पर वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’
सब की मौजूदगी में मनमोहन सिंह ने अपने दिल की बात कही। कार्यक्रम के दौरान मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रणब दा अपनी मर्जी से राजनेता बने थे, इसलिए वह पीएम बनने के लिए बेहतर उम्मीदवार थे।
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ ऐसा तब भी हुआ था कि जब राजीव गांधी के बाद प्रणब मुखर्जी के बजाए चंद्रशेखर को पीएम पद के लिए चुना गया था।