प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तमिलनाडु दौरे पर हैं, और यह दौरा कई कारणों से अहम माना जा रहा है। आज सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती है, साथ ही भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि भी। दोनों ही ऐतिहासिक शख्सियतें तमिलनाडु से गहरा नाता रखती हैं।
तमिल पहचान को प्रोत्साहित करने की कोशिश
आज आड़ी थिरूवादिरयी भी है, जो तमिल संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। पीएम मोदी तिरुचिरापल्ली में गंगईकोंडा चोलापुरम में आयोजित सहस्त्राब्दी समारोह में हिस्सा ले रहे हैं, जो चोल सम्राट राजेंद्र चोल को समर्पित है। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी मायने रखता है क्योंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां बीजेपी खुद को मज़बूत स्थिति में लाना चाहती है।
पीएम मोदी का यह दौरा उनकी उस मुहिम का हिस्सा भी माना जा सकता है, जिसके तहत वे तमिल भाषा और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के प्रयास कर रहे हैं। संसद में सेंगोल की स्थापना, काशी-तमिल संगमम और विदेशों में तमिल भाषा का प्रचार उनकी इसी सोच को दर्शाता है।
क्या होगा इसका राजनीतिक असर?
तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। अब तक राज्य की राजनीति डीएमके और एआईएडीएमके के इर्द-गिर्द घूमती रही है, लेकिन बीजेपी इस समीकरण को तोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
पीएम मोदी इस दौरे में जिन विकास परियोजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं, उनका उद्देश्य यह संदेश देना है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु को विकास के पथ पर अग्रसर देखना चाहती है। इससे स्थानीय मतदाताओं को यह संकेत मिल सकता है कि बीजेपी राज्य की उपेक्षा नहीं कर रही है, बल्कि उसे राजनीतिक और विकासात्मक रूप से महत्वपूर्ण मानती है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में तमिलनाडु को श्रीराम की भूमि बताया और पंबन ब्रिज के उद्घाटन जैसे कार्यक्रमों से आस्था और संस्कृति को भी जोड़ा। यह बीजेपी की राष्ट्रवादी राजनीति का एक पहलू है, जिसमें सांस्कृतिक विरासत को सियासी मंच पर लाया जा रहा है।
गठबंधन और संगठन को मजबूती
बीजेपी राज्य में एआईएडीएमके के अलावा अन्य दलों जैसे डीएमडीके और एएमएमके के साथ मिलकर गठबंधन को मज़बूत करने का प्रयास कर रही है। 2026 के चुनाव में यह साझेदारी बीजेपी को क्षेत्रीय दलों के मुकाबले ज़्यादा असरदार बना सकती है। इस दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी ऊर्जा दी है। राज्य इकाई के नेता नैनार नागेंथिरन और के. अन्नामलाई ने पीएम मोदी के आगमन को पार्टी के लिए प्रेरणादायक बताया है।
बीजेपी का लक्ष्य तमिलनाडु में केवल सियासी उपस्थिति दर्ज कराना नहीं है, बल्कि “उत्तर भारतीय पार्टी” की छवि से बाहर निकलकर खुद को राष्ट्रीय वैचारिक विकल्प के रूप में पेश करना है। पीएम मोदी द्वारा तमिल भाषा और संस्कृति की खुले मंच से सराहना, जैसे काशी-तमिल संगमम और संसद भवन में सेंगोल की स्थापना, इस दिशा में अहम कदम हैं।
तमिलनाडु की राजनीति में बीजेपी धीरे-धीरे सांस्कृतिक और विकास के एजेंडे को केंद्र में लाकर अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है। पीएम मोदी का यह दौरा न केवल तमिल संस्कृति को सम्मान देने का प्रतीक है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।