मराठा आरक्षण पर बड़ी जीत: मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन, महाराष्ट्र सरकार ने मानी सभी मांगें

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मराठा आरक्षण पर बड़ी जीत
मराठा आरक्षण पर बड़ी जीत

मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन मंगलवार (2 सितंबर) को खत्म हो गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार से आश्वासन मिलने के बाद अनशन समाप्त करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी मांगों को मान लिया है और अब वे उपचार के लिए अस्पताल जाएंगे।

मनोज जरांगे ने समर्थकों से अपील की – “सब अपने-अपने गांव संभलकर जाएं, मैं बाद में आप सबसे आकर मिलूंगा।” इसके बाद मुंबई के आज़ाद मैदान में आंदोलनकारियों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया।

हाई कोर्ट की सख्ती

इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आंदोलन और उससे जुड़े हालात को लेकर कड़ा रुख दिखाया। एक्टिंग चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने राज्य सरकार और आंदोलनकारियों दोनों से पूछा कि ट्रैफिक जाम और नियमों की अनदेखी क्यों होने दी गई। कोर्ट ने साफ चेतावनी दी कि अगर तय समय तक जगह खाली नहीं हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सरकार से समझौता

फडणवीस कैबिनेट उपसमिति के प्रमुख और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मनोज जरांगे से मुलाकात की। सरकार ने भरोसा दिया कि मराठा समुदाय को कुनबी का हिस्सा मानने वाला सरकारी आदेश (जीआर) दो महीने के भीतर जारी किया जाएगा। इसके साथ ही आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज सभी केस भी वापस लिए जाएंगे।

मनोज जरांगे ने मंत्रियों की मौजूदगी में ऐलान किया – “हम जीत गए हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जीआर जारी होते ही वे आज रात तक मुंबई छोड़ देंगे।

पुलिस और कोर्ट में तकरार

मुंबई पुलिस ने आंदोलनकारियों को आज़ाद मैदान में धरना जारी रखने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। इसके खिलाफ आंदोलनकारियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने एडवोकेट सतीश मानशिंदे से सवाल किया कि लाखों की भीड़ आने पर उन्होंने क्या इंतजाम किए।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डॉ. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि पुलिस लगातार लोगों को हटाने की कोशिश कर रही है, लाउडस्पीकर से घोषणाएं हुईं और कई गाड़ियां हटाई गईं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि केवल फोटो और वीडियो सबूत काफी नहीं हैं, सरकार को सख्ती से हालात काबू करने होंगे।

अब आगे क्या?

हाई कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को तय की है। तब तक सरकार को स्पष्ट करना होगा कि हालात को नियंत्रित करने के लिए कौन-कौन से ठोस कदम उठाए गए।