Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाकों के मामले में गुरुवार को NIA कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। करीब 17 साल बाद आए इस फैसले के बाद देशभर में चर्चा शुरू हो गई है। इसी बीच एक पूर्व ATS अधिकारी ने खुलासा किया है कि इस मामले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की गिरफ्तारी के आर्डर मिले थे.
‘RSS प्रमुख को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था’ — पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि जांच के दौरान उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि यह आदेश कथित रूप से ‘भगवा आतंकवाद’ की अवधारणा स्थापित करने के इरादे से दिया गया था।
H2: ‘मैंने आदेश नहीं माना, इसलिए झूठे केस में फंसाया गया’
मुजावर ने बताया कि वह इस धमाके की शुरुआती ATS जांच टीम का हिस्सा थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश नहीं माना, तो उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया, जिससे उनका 40 साल का पुलिस करियर प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा, “मैं भागवत जैसी बड़ी हस्ती को गिरफ्तार करने की स्थिति में नहीं था और मुझे सच का पता था। इसलिए मैंने आदेश मानने से इनकार कर दिया।”
फर्जी जांच और ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी पर उठे सवाल
मुजावर ने कहा कि कोर्ट का फैसला इस बात को साबित करता है कि शुरुआती जांच में फर्जी तरीके अपनाए गए थे। उन्होंने कहा कि, “इस केस में भगवा आतंकवाद जैसी कोई सच्चाई नहीं थी, सबकुछ राजनीतिक प्रोपेगेंडा था।” मुजावर का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब NIA की विशेष अदालत ने ATS की प्रारंभिक जांच को खारिज करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।