बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आम आदमी पार्टी की एंट्री, केजरीवाल बोले- बिना गठबंधन लड़ेंगे चुनाव

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज़ होती जा रही है। इसी बीच आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा राजनीतिक ऐलान किया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि आम आदमी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी। गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि बिहार में पार्टी किसी भी राजनीतिक गठबंधन के साथ नहीं जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘इंडिया गठबंधन’ केवल लोकसभा चुनाव के लिए था, और विधानसभा चुनाव में पार्टी स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरेगी।

बीजेपी का तीखा पलटवार

आम आदमी पार्टी की इस घोषणा पर भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय आलोक ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि केजरीवाल बिहार में 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, जबकि दिल्ली और पंजाब की हालत किसी से छिपी नहीं है। अजय आलोक ने आरोप लगाया कि दिल्ली से खफा होकर जनता ने उन्हें खारिज कर दिया और अब वे पंजाब के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब पर तीन साल में डेढ़ लाख करोड़ का कर्ज चढ़ा दिया गया है और अब गुजरात, बिहार जैसे राज्यों में भी किस्मत आजमाने की तैयारी है। अपने बयान में उन्होंने केजरीवाल को तंज कसते हुए ‘कपटीवाल’ कहकर भी संबोधित किया और कहा कि अब बिहार में चुनाव लड़ने पर उनकी ‘राजनीतिक हैसियत और औकात’ का अंदाज़ा हो जाएगा।

बिहार चुनाव की तैयारियां जोरों पर

बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। चुनाव आयोग ने हाल ही में जन सुराज पार्टी को ‘स्कूल बैग’ चुनाव चिह्न आवंटित किया है। पार्टी की ओर से घोषणा की गई है कि उनके सभी प्रत्याशी इसी चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने इसे शिक्षा और विकास का प्रतीक बताया है।

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जिन्हें पीके के नाम से भी जाना जाता है, एक चर्चित चुनावी रणनीतिकार रह चुके हैं। वे देश की कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों के लिए चुनावी प्लान तैयार कर चुके हैं और अब खुद बिहार की सियासत में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

बिहार चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। अब यह देखना होगा कि राज्य की जनता इस नई सियासी चुनौती को किस रूप में स्वीकार करती है।