Women Empowerment: कानूनी जागरूकता के माध्यम से नारी सशक्तिकरण, पढ़‍िए Advocate Nikhil Goel का लेख

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Women Empowerment: महिलाएं हमारे समाज की अभिन्न अंग हैं। शास्त्रों में लिखा है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः ! … जहां नारी की पूजा होती है, वहीं देवता निवास करते हैं। नारी ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है। इन्हें सृजन की शक्ति के रूप में माना गया है। इस सृजन की शक्ति को विकसित कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्याय, विचार, विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता का सुअवसर प्रदान करना ही Women Empowerment है।

“नारी को अबला कहना उसका अपमान करना हैं …⫼ महात्मा गांधी

आसान शब्दों में कहा जाए तो भौतिक, आध्यात्मिक, शारीरिक व मानसिक, सभी स्तर पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया Women Empowerment कहलाती है। महिलाओं को पुरुष के सामान अधिकार मिले, उनको स्वतंत्रता व सम्मान मिले और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए जैसे कई अहम मुद्दे है जिसके सफल स्वरूप नारी सशक्त बन सकती है।

भारतीय समाज में आज महिला के अधिकार और कानून का एक ऐसा ज्वलंत और प्रसिद्ध विषय हो गया है जिस पर चली विचार-विमर्श, आलोचना, वाद-विवाद, भाषण, निबन्ध, सेमिनार आदि निरन्तर जारी रहते हैं। पर इस बात मई कोई मतभेद नहीं है की नारी के सशक्तिकरण के बलबूते पर ही एक स्वस्थ, संतुलित और विकसित समाज की नीव रक्खी जा सकती है !

Women Empowerment: अलग-अलग समय में महिलाओं की स्थिति

International Womens Day

आज के विषय पे चर्चा सार्थक बनाने के लिए शुरुवात मे जाना ज़रूरी है! समाजशास्त्री ‘सर हेनरी मेन’ ने अपनी पुस्तक ‘अर्ली हिस्ट्री आफ इंस्टीट्यूशन्स” के पृष्ठ 321-24 तक में स्वीकार किया है कि हिन्दू समाज में रोमन समाज से पूर्व स्त्रियों को साम्पत्तिक अधिकार प्राप्त थे।” भारतीय इतिहास में याज्ञवल्क्य के सन्यास ग्रहण करते समय गार्गी और मैतेयी में सम्पत्ति विभाजन का प्रस्ताव कानून होने के आधार से ही रखा गया था। याज्ञवल्क्य स्मृति (बृहदारण्यक  उपनिषद्) तो बहिन को भाईयों के समान अविवाहित स्थिति में बराबर का सम्पत्ति में अधिकार देती है। भारतीय सन्दर्भ मे समय और पराधीनता ने मध्य काल तक नारी का स्थान काफी नीचे कर दिया.  

Women Empowermen: वर्तमान परिदृश्य और संवैधानिक मान्यता

वर्तमान में महिलाओं ने अपने अस्तित्व की लड़ाई की एक कठोर यात्रा तय करते हुए, इस पितृसत्तात्मक समाज में, अपनी एक अलग जगह बना ली है। महिलाओं के सतत प्रयासों ने उन्हें राजनैतिक आकाँक्षाओं व उनके व्यक्तिगत और व्यवसायिक विकास के लिए सामान पहुंच प्रदान की है।

Women Empowerment: भारतीय संविधान भी महिलाओं से संबंधित विषयों के प्रति संवेदनशील है तथा भारतीय समाज के सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने को संतुलित करने हेतु महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों को प्रदान करता है। विभिन्न कानूनी प्रावधानों के बावजूद महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन, भ्रूण हत्या, उनके साथ घरेलू हिंसा, बलात्कार, हॉनर किलिंग व दहेज़ हत्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, जो कि हमारी भारतीय संस्कृति और परंपरा के रूप में महिलाओं को सम्मान देने के लिए स्वयं पर गर्व महसूस करने वाले राष्ट्र के लिए अमानवीय है।

भारत में अधिनियमों का उद्देश्य महिला उत्थान की ओर – उनके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है

  • सुरक्षित कार्यस्थल का अधिकार
  • गोपनीयता का अधिकार
  • कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
    मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 & लिंग चयन प्रतिबंध अधिनियम,1994
  • घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार
  • दहेज़ और वैवाहिक अत्याचार के खिलाफ विशेष कानून स. ४९८-A, ४०६ पीनल कोड और दहेज़ प्रोहिबिशन एक्ट;
  • अनैतिक देह व्यापर (रोकथाम) अधिनियम (१९५६)
  • मात्रतव लाभ अधिनियम (१९६१)
  • सती रोकथाम अधिनियम १९८७
  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम १९९०
  • कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम निषेद और निवारण) अधिनियम २०१३
  • इंटरनेट पर सुरक्षा का अधिकार
  • जीरो एफआईआर का अधिकार
  • समान वेतन का अधिकार
  • देर से भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार
  • नि:शुल्क कानूनी सहायता का अधिकार

पुलिस हिरासत मे भी महिलाओं को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं जिनकी जानकारी भी होना आवशयक है

Women Empowerment: कानूनी शिक्षा सहित शिक्षा की आवश्यकता

Women Empowerment: महिलाओं में कानून के प्रति सजगता की कमी उनके सशक्तीकरण के मार्ग में रोड़े अटकाने का काम कर रही है। अशिक्षित महिलाओं को तो भूल ही जाइए, शिक्षित महिलाएं भी कानूनी दांवपेच से अनजान होने की वजह से आजीवन हिंसा सहती रहती हैं। ऐसे में, महिलाओं को कानूनी रूप से शिक्षित करने के लिए मुहिम शुरू करना वक्त की जरूरत बन गई है।

महिलाओं के अपने अधिकारों के प्रति सचेत नहीं रहना भी उनके प्रताड़ित होने का एक कारण है। ऐसा अनुभव किया गया है की अधिकतर महिलाओं को यह समझ ही नहीं आ पाती के उनके साथ कोई अपराध घटित हुआ है या कोई विवाद क़ानूनी विवाद है. अपने अनुभव मे हमने पुरुषों और यहाँ तक की महिलाओं मे भी सकारात्मक भेदभाव के सिद्धांतो की बहुत काम समझ देखि है. इन सब कारणों को देखते हुए ये माना जाता है की विधिक साक्षरता अथवा विधिक जागरूकता ही इस स्थिति मे परिवर्तन लेन की क्षमता रखती है.

ऐसी स्थिति में विधिक साक्षरता का महत्व और बढ़ जाता है। कानून का ज्ञान व्यक्ति को विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करने की शक्ति देता है। विधिक अथवा कानूनी जागरूकता किसी भी राष्ट्र की सामाजिक व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन लाती है।

आज इस बात की विशेष आवश्यकता है कि विधिक जागरूकता के प्रचार और प्रसार के द्वारा कानूनी साक्षरता के अभिमान को सार्थक बनाया जाए। कानूनी जागरूकता से कानूनी संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। नए कानूनों के निर्माण में लोगों की भागीदारी बढ़ती है व कानून के शासन की स्थापना की दिशा में प्रगति होती है।

सरकार द्वारा भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, अनेक योजनाएं महिलाओं के उत्थान के दृष्टिगत चलाई जा रही हैं ताकि राष्ट्रोत्थान में उनकी सहभागिता को बढ़ाया जा सके।

विगत कुछ वर्षों में न्यायपालिकाओं ने अनेक ऐसे फैसले लिए, जिससे देश में महिला सशक्तिकरण को एक नई दिशा मिली। आज प्रत्येक भारतीय को विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व है।

नारी सशक्तिकरण होना आज के भारतीय समाज की एक महती आवश्यकता है। नारी सशक्तिकरण में रूढ़िवादिता, कार्य क्षेत्र में होने वाले शोषण, घरेलू हिंसा, ऑनर किलिंग और तस्करी जैसे बाधक भी विचारणीय हैं। समाज में व्याप्त ये सभी महिला सशक्तिकरण की रफ़्तार धीमी कर रहे हैं।

Women Empowerment: महिला प्रतिनिधित्व के संदर्भ में

Women Empowerment: इसी तरह मुझे लगता है कि महिलाओं को सिर्फ़ अपने अधिकारों की ही नहीं, बल्कि आगे बढ़कर आधा आकाश माँगने की बात करनी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी कहते थे- जब आधा आकाश  महिलाओं का है … तो फिर राजनीति क्यों नहीं ? मेरा अपना व्यक्तिगत भाव है कि जब तक इस देश में महिलाएँ प्रशासन और राजनीति में बराबर-बराबर भाग नहीं लेंगीं, और जब तक उनको पूरी तरह कानूनी ज्ञान नहीं होगा, तब तक उनका अनियंत्रित शोषण होता रहेगा।

महिला की विधिक सशक्तिकरण ही Women Empowerment की रीढ़ है। जब एक महिला कानूनी जानकारी रखेगी, तो उसके पाँव सशक्तिकरण की ओर बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा। इसलिए विधिक जानकारी ही उन्हें पूर्णतया मज़बूती प्रदान करेगी और सही मायने में महिला सशक्तिकरण शब्द को चरितार्थ करेगी।

Women Empowerment: विचारोत्तेजक तरीके

Women Empowerment के लक्ष्य को प्राप्त करने कानून संबंधित हेतु छोटे-छोटे सीमित अवधि के कोर्स की रूपरेखा की आवश्यकता है जिससे महिलाओं को आत्मसम्मान के साथ जीवन निर्वहनयोग्य बनाया जा सके।

प्रत्येक बालक को बचपन से ही महिलाओं को मान सम्मान दिए जाने की नैतिक शिक्षा घर, विद्यालय व समाज से मिलनी चाहिये। ऐसा होने पर ही हमारा समाज प्रताड़ना, हिंसा, शोषण आदि से महिलाओं को बचा पाएगा!

कुछ ऐसे कार्यक्रम जो विधिक प्राधिकरण प्रकोस्ठ द्वारा Women Empowerment हेतु आयोजित किये जा सकते है:

१. शिक्षा संस्थाओ द्वारा अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती है जैसे पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइटिंग, निबंध लेखन आदि जिनके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अनेक कानूनी अधिकारों के प्रति सचेत किया जा सकता है

२. विभिन्न सामाजिक संगठनो के सहयोग से सर्वेक्षण करवाए जा सकते है तथा यथास्तिथि का पता लगा कर क़ानूनी जागरूकता शिविर लगाए जा सकते है जहाँ क़ानूनी जानकारी प्रदान कर समाज और राष्ट्र के विकास मे महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है

३. अध्यापक शिक्षा पढ़यक्रम क़ानूनी शिक्षा को एक विषय के रूप मे पढ़ाया जाये जिसमे लैंगिक समानता , घरेलु हिंसा , यौन शोषण निरोधक कानूनों को मुख्या स्थान दिया जाए

४. महिलाओ पर अपराध सम्भंदित मामलो पर त्वरित कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त किया जाए

५. समाज के पुरुष वर्ग को उनकी पितृ सत्तात्मक दृष्टिकोण (पुरुष प्रधानता) से बहार लाया जाए

६. न केवल लड़कियों को अपितु लड़कों मे प्रराम्भित शिक्षा से महिलाओं के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण का विकास किआ जाए

७. घर अवं परिवार मे महिलाओं के प्रति सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जाए

इसलिए, शिक्षित हो या अशिक्षित, समूचे नारी समाज को कानून की पूरी जानकारी हो, हमें यह सुनिश्चित करना होगा। तभी हम सही मायने में महिला सशक्तिकरण के प्रति अपने दायित्वों को पूरा कर पाएंगे।

निष्कर्ष

Women Empowerment: आज महिलाएं इस स्टर पर अपनी प्रतिभा का लोहा बनवा रही है लेकिन जिस सम्मान की वह हकदार है उससे वह आज भी वंचित है. पुरुष प्रधान समाज मे वह अपना अस्तित्व बचने के लिए आज भी संघर्षरत हैं। Women Empowerment होंना आज के समाज की एक महती आवश्यकता है. और यह कार्यक्रम उसी दिशा मे एक कदम है और मुझे विश्वास है की यह कदम अपेक्षित मजिल तक हम सबको ले कर जायेगा

नारी सशक्तिकरण के नारों ने, सबको फिर से बतलाया है,
आज मेरे मन में फिर, इक वही सवाल उठाया है।
वेदों और पुराणों में जिसकी माहिमा की गाते हैं

वो हर मुश्किल से लड़ते है और संघर्षो से टकराते हैं

Women Empowerment

(लेखक एडवोकेट निखिल गोयल भारत के सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत करते हैं। वर्तमान में, लेखक सीबीआई के लिए विशेष लोक अभियोजक और कर्नाटक और हरियाणा राज्यों के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।)

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