मौजूदा वक्त में लोग आध्यात्मिक शांति के लिए अलग-अलग रास्तों को चुन रहे हैं। जीवन में व्यस्तताएं इतनी हैं कि लोग सरल से सरल रास्ता खोज रहे हैं। ऐसे में एक रास्ता जो सबसे आसान मालूम पड़ता है वो है व्यक्ति केंद्रित आध्यात्मिकता का रास्ता। जिसकी अलख गुरु नानक देव जी ने जलाई थी। आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व है। आइए इस मौके पर व्यक्ति केंद्रित आध्यात्मिकता को समझने की कोशिश करते हैं।
भक्ति आंदोलन
इसके लिए हमें भक्ति आंदोलन के बारे में जानना होगा। भक्ति आंदोलन मध्ययुगीन भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आंदोलन था जिसने भक्ति के रास्ते समाज के सभी वर्गों में धार्मिक सुधार का रास्ता खोला। छठी शताब्दी के दौरान दक्षिण भारत में शुरू हुए इस आंदोलन को उत्तर भारत पहुंचने में 15वीं सदी तक का समय लग गया। यह आंदोलन कई संत कवियों से प्रेरित था जिसमें नानक भी एक थे। इस आंदोलन की विशेषता ये थी कि इसने आध्यात्मिकता के लिए एक व्यक्ति-केंद्रित मार्ग बताया।
नानक भक्ति आंदोलन की निर्गुणी (निराकार भगवान) परंपरा से प्रभावित थे। सिख धर्म में, “निर्गुणी भक्ति” पर जोर दिया जाता है लेकिन यह परमात्मा के निर्गुण और सगुणी दोनों रूपों को स्वीकार करता है। गुरु ग्रंथ साहिब में सिख गुरुओं, तेरह हिंदू संतों और दो मुस्लिम संतों के शबद शामिल हैं। तेरह हिंदू संत जिनके गुरु ग्रंथ में शबद शामिल हैं उनमें नामदेव, पीपा, रविदास, बेनी, भीखन, धन्ना, जयदेव, परमानंद, साधना, सैन, सूरदास, त्रिलोचन शामिल हैं, जबकि दो मुस्लिम संत कवि कबीर और सूफ़ी संत फ़रीद हैं। सिख धर्मग्रंथ के 5,894 शबदों में अधिकांश सिख गुरुओं से आए हैं और बाकी दूसरे संतों से आए हैं। ग्रंथ में गैर-सिख संतों के योगदान की बात की जाए तो कबीर के 292 शबद,बाबा फरीद के 134 शबद और संत नामदेव के 60 शबद शामिल हैं।
नानक की शिक्षा को तीन तरीकों से समझा जा सकता है:
वंड छको: दूसरों के साथ साझा करें, जरूरतमंदों की मदद करें, ताकि आप एक साथ खाना खा सकें।
किरत करो : शोषण या धोखाधड़ी के बिना ईमानदारी से जीवनयापन करें; और
नाम जपो : भगवान के नाम का ध्यान करें, ताकि उसकी उपस्थिति को महसूस किया जा सके और मानव व्यक्तित्व के पांच चोरों को नियंत्रित किया जा सके।
गुरु नानक ने सिखाया कि पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप भक्ति है। नाम-सिमरन – ईश्वर की प्राप्ति – सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण भक्ति अभ्यास है। सिख धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में एक सिख के लिए निरंतर भक्ति करने को कहा गया है। सिख धर्म आध्यात्मिक जीवन और धर्मनिरपेक्ष जीवन को एक-दूसरे से जुड़ा हुआ मानता है। सिख मत के अनुसार अस्थायी दुनिया अनंत वास्तविकता का हिस्सा है।
जीवन के संतुलन को पाने पर जोर
गुरु नानक देव जी ने सच्चाई, निष्ठा, आत्म-नियंत्रण और पवित्रता से जिए गए जीवन को अधिक महत्वपूर्ण माना है। गुरु नानक के अनुसार हमें आत्मकेंद्रित न होते हए रोजमर्रा जिंदगी में मिलने- अलग होने, अपने-पराये, सक्रिय-निष्क्रिय, लगाव-अलगाव के बीच के संतुलन को प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए। नानक एक ईश्वर या अकाल के बारे में बताते हैं जो पूरे जीवन में व्याप्त है और जिसे मनुष्य को भीतर से या हृदय से देखना चाहिए।