हिन्दी कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगा में डुबकी लगाने वालों को खास लाभ मिलते हैं। कहा जाता है, कि इस मास में देवताओं का वास होता है। ऐसे में गंगा घाटों पर मेले भी लगते हैं।

तीर्थराज प्रयाग यानी इलाहाबाद में पावन संगम में मास के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर सदियों बाद दुर्लभ संयोग हुआ है। इसमें लाखों श्रद्धालुओं ने पुण्य अर्जित करने की इच्छा से डुबकी लगाया। बुधवार की शाम से ही स्नानार्थियों का रेला शुरू हुआ, जो अबतक जारी है। 27 जनवरी के सुबह 4.48 बजे से 28 जनवरी सुबह 5.32 बजे तक अमावस्या तिथि का पावन योग रहेगा। खराब मौसम होने के बाद भी संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बड़ी तादाद में है। लोग त्रिवेणी पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने के लिए काफी उत्साहित नज़र आए।

माघ के महीने को हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना जाता है। माघ मास के ठीक मध्य में अमावस्या के दिन का तो बहुत विशेष महत्व दिया जाता है। दरअसल मान्यता यह है कि इस दिन पवित्र नदी और मां का दर्जा रखने वाली गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिए माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास बताया जाता है। इस महापर्व में किन्नर संतों ने भी आस्था की डुबकी लगाई। किन्नर संत बीते एक हफ्ते से माघ मेला क्षेत्र में डटे हुए हैं। मौनी अमाव्सया के स्नान पर्व में शामिल होने के लिए किन्नर अखाड़ा भी संगमनगरी में है। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है, कि जिस तरह से हिन्दू सनातन धर्म का पालन सभी अखाड़े करते हैं, उसी तरह किन्नर अखाड़े ने भी सनातन धर्म के पालन का प्रण किया है।

श्रद्धालुओ की सुरक्षा के लिए प्रशासन की तरफ से भी चाक चौबंद प्रबंध किये गए है। पूरा मेला क्षेत्र 1432 बीघा जमीन पर फैला हुआ है, इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने आज के स्नान पर्व के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

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