शीतला अष्टमी, जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है, हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व होली के आठ दिन बाद आता है और आमतौर पर मार्च या अप्रैल में पड़ता है। 2025 में शीतला अष्टमी का व्रत शनिवार, 22 मार्च को रखा जाएगा। इस दिन मां शीतला की पूजा करने से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलने का विश्वास किया जाता है।
शीतला अष्टमी पर बासी भोजन का महत्व
शीतला अष्टमी पर बासी भोजन (बसौड़ा) खाने और इसे माता को अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
धार्मिक मान्यता
- इस दिन मां शीतला को बासी भोजन अर्पित किया जाता है, जिसे बसौड़ा या बसियौरा कहा जाता है।
- यह पर्व ठंड के समाप्त होने का प्रतीक माना जाता है।
- मान्यता है कि माता शीतला को बासी भोजन अर्पित करने से रोगों से बचाव होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- भक्तों को भी इस प्रसाद को ग्रहण करना चाहिए, जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है।
- व्रत से एक दिन पहले पवित्रता का ध्यान रखते हुए भोजन तैयार किया जाता है और अगले दिन इसे मां शीतला को समर्पित किया जाता है।
- ऐसा करने से मां शीतला प्रसन्न होती हैं और भक्तों को निरोग रहने का आशीर्वाद देती हैं।
वैज्ञानिक महत्व
- बासी भोजन स्वाभाविक रूप से ठंडा होता है, जो गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक पहुंचाता है।
- शीतला माता को शीतल चीजें प्रिय हैं, इसलिए यह परंपरा संतुलन और शांति बनाए रखने का संदेश देती है।
शीतला अष्टमी 2025: शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार,
- अष्टमी तिथि 22 मार्च 2025 को सुबह 04:23 बजे शुरू होगी और 23 मार्च 2025 को सुबह 05:23 बजे समाप्त होगी।
- उदय तिथि के अनुसार, व्रत 22 मार्च 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा और पारण 23 मार्च की सुबह पूजा के बाद किया जाएगा।
शीतला अष्टमी 2025: पूजा विधि
- प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा की थाली में मीठे चावल, हलवा, दीपक, रोली, अक्षत, वस्त्र, बड़कुले की माला, हल्दी और सिक्के रखें।
- मां शीतला को व्रत की सामग्री अर्पित करें और शीतला अष्टमी की कथा का पाठ करें।
- आरती करें और फिर पूजा संपन्न करें।
शीतला अष्टमी पर बरतें ये सावधानियां
- इस दिन नया और ताजा भोजन नहीं बनाया जाता, बल्कि एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है।
- यदि परिवार में कोई चेचक से पीड़ित हो, तो उस परिवार के किसी सदस्य को यह व्रत नहीं रखना चाहिए।
- इस दिन गर्म भोजन न करें, केवल ठंडी और शीतल वस्तुएं खाएं।
- व्रत करने वाले भक्तों को इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
- शीतला माता की कृपा से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
(Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। APN NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है।)