Sharad Purnima 2025: मां लक्ष्मी की कृपा पाने का दुर्लभ अवसर, जानें पूजा विधि और महत्व

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Sharad Purnima 2025
Sharad Purnima 2025

हिंदू पंचांग में शरद पूर्णिमा का पर्व बेहद खास माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागरण कर उनकी आराधना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं।

शरद पूर्णिमा 2025 कब है?

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास (पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर-जोधपुर) के अनुसार, इस वर्ष शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे आरंभ होगी और अगले दिन 7 अक्टूबर सुबह 9:06 बजे समाप्त होगी। पंचांग गणना के मुताबिक, व्रत और पूजा का आयोजन 6 अक्टूबर को ही किया जाएगा।

इस दिन चंद्रमा शाम 7:26 बजे उदित होगा और रातभर अपनी पूर्ण कलाओं के साथ आकाश में रहेगा। परंपरा के अनुसार, इसी रात अमृत तुल्य चांदनी पृथ्वी पर बरसती है।

कोजागरी पूर्णिमा

भारत के कई राज्यों में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। खासतौर पर बंगाल, ओडिशा और असम में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी-नारायण की विधिपूर्वक पूजा करने से आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

धार्मिक और पौराणिक महत्व

  • मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को ही मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। इसलिए यह दिन धन प्राप्ति और वैभव का प्रतीक है।
  • कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था।
  • चंद्रमा इस रात पृथ्वी के बेहद निकट होता है, जिसकी रोशनी को अमृतमय माना गया है।
  • इसी वजह से इस दिन दूध और चावल से बनी खीर को चांदनी में रखकर भोग लगाने और बाद में प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा है।

वैज्ञानिक मान्यता

माना जाता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण निहित होते हैं। जब खीर को रातभर खुली चांदनी में रखा जाता है, तो यह अमृत समान और स्वास्थ्यवर्धक हो जाती है।

पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • फूल, धूप-दीप, नैवेद्य, इत्र और सुपारी से विधिवत पूजन करें।
  • लक्ष्मी चालीसा का पाठ और आरती करें।
  • शाम को पुनः पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
  • रात में खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें और मध्यरात्रि में मां लक्ष्मी को भोग लगाएं।

इस साल का शुभ संयोग

शरद पूर्णिमा 2025 पर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिसे बेहद फलदायी और दुर्लभ माना जा रहा है।

नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पंचांग गणना पर आधारित है। किसी भी व्रत या पूजा से पहले अपने पंडित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।