Shani Chalisa: हनुमान चालीसा के साथ मंगलवार को करें शनि चालीसा का पाठ, दूर होंगे संकट और मिलेगी विशेष कृपा

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Shani Chalisa Benefits on Tuesday: मंगलवार का दिन न सिर्फ हनुमान जी की उपासना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिन शनि देव को भी प्रसन्न करने का उत्तम अवसर माना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी को प्रसन्न करने से शनिदेव की क्रूर दृष्टि से बचाव होता है, और जब साथ ही शनि चालीसा का पाठ किया जाए, तो यह असर और भी ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है।

शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो हर जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। जब शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही हो, जीवन में अकारण कष्ट और मानसिक तनाव बना रहता हो, तो शनि चालीसा का नियमित पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

शनि चालीसा एक ऐसा स्तोत्र है, जिसमें शनिदेव के स्वरूप, उनके वाहन, क्रोध और कृपा की कथाएं वर्णित हैं। यह चालीसा बताती है कि जब शनिदेव रुष्ट होते हैं तो राजा को रंक और जब प्रसन्न होते हैं तो रंक को राजा बना सकते हैं।

शनि चालीसा पाठ के प्रमुख लाभ

1. साढ़े साती और ढैय्या में मिलती है राहत

शनिदेव जब किसी की कुंडली में प्रतिकूल होते हैं तो जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है। चालीसा का पाठ शनिदेव को प्रसन्न करता है और कष्टों को कम करता है।

2. न्याय और शत्रुओं से सुरक्षा

चालीसा में वर्णित कथाओं के अनुसार, शनिदेव दुष्टों का विनाश करते हैं और धर्मपरायण लोगों की रक्षा करते हैं। इसे पढ़ने से न्याय की प्राप्ति और विरोधियों पर विजय मिलती है।

3. धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति में सुधार

शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाकर शनि चालीसा का पाठ करने से आर्थिक कष्ट, रोग और मानसिक तनाव में राहत मिलती है।

4. कर्म सुधार और आत्मिक विकास

शनि देव कर्मफलदाता हैं। उनका ध्यान और चालीसा पाठ व्यक्ति को सही कर्मपथ पर चलने की प्रेरणा देता है, जिससे आत्मिक विकास होता है।

क्यों खास है मंगलवार को शनि चालीसा का पाठ?

  1. हनुमान जी से जुड़ाव: मान्यता है कि हनुमान जी शनि देव के प्रभाव को कम करने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि मंगलवार को यदि शनि चालीसा का पाठ हनुमान चालीसा के साथ किया जाए, तो यह साढ़े साती और ढैय्या जैसे दोषों से मुक्ति दिलाने में बेहद सहायक होता है।
  2. दुर्भाग्य और संकटों से रक्षा: मंगलवार को शनि चालीसा का पाठ करने से जीवन में अचानक आने वाले संकट, कर्ज़, शत्रु बाधा और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिलती है।
  3. आध्यात्मिक लाभ और आत्मबल में वृद्धि: यह पाठ व्यक्ति को सही और धर्मिक पथ पर चलने की प्रेरणा देता है और आत्मिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
  4. इसके अलावा, शनि चालीसा का पाठ अधिकतर भक्त शनिवार करते हैं। शनिदेव का दिन शनिवार माना जाता है। इस दिन पीपल के नीचे दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अगर किसी की कुंडली में शनि नीच के हों या अशुभ स्थान में हों तो शनिवार को नियमित पाठ और दान करने से ग्रहदोष शांत होता है।

श्री शनि चालीसा

|| दोहा ||

जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।

|| चौपाई ||

जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।
सौरि मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।
रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।
पर्वतहूं तृण होई निहारत।
तृणहंू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा।
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई।
मात जानकी गई चुराई।।
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।
मचि गयो दल में हाहाकारा।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर को डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हो।
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
वैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शकंरहि गहो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनि बिलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।
बची द्रोपदी होति उघारी।।
कौरव की भी गति मति मारी।
युद्ध महाभारत करि डारी।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि पर्यो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभहानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्रा नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

|| दोहा ||

पाठ शनीश्वर देव को, कीन्हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।

यह दोहा शनि चालीसा के पाठ के महत्व को बताता है। इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति निष्ठापूर्वक और शुद्ध मन से शनि चालीसा का पाठ करता है, वह 40 दिनों में भवसागर (दुनिया के दुख) पार कर लेता है। 

मंगलवार को शनि चालीसा पढ़ने के नियम

  • सुबह स्नान कर पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • काले तिल, उड़द दाल, लोहा या काले कपड़े का दान करें।
  • हनुमान चालीसा और फिर शनि चालीसा का पाठ करें।
  • शांत और श्रद्धापूर्वक पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई जानकारियां पौराणिक ग्रंथों, लोक विश्वास और जनश्रुति पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है और न ही इसे वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या उपाय को अपनाने से पहले योग्य ज्योतिष, पंडित या संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। लेख में दी गई सूचनाएं व्यक्तिगत आस्था पर आधारित हो सकती हैं और APN News इसकी सटीकता या पूर्णता की पुष्टि नहीं करता।