स्क्रीन की गिरफ्त में टीनएजर्स! कम नींद, ज़्यादा तनाव – क्या बिगड़ रही है नई पीढ़ी की सेहत?

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स्क्रीन की गिरफ्त में टीनएजर्स! कम नींद, ज़्यादा तनाव – क्या बिगड़ रही है नई पीढ़ी की सेहत?
स्क्रीन की गिरफ्त में टीनएजर्स! कम नींद, ज़्यादा तनाव – क्या बिगड़ रही है नई पीढ़ी की सेहत?

आज के डिजिटल युग में दिन की शुरुआत जहां मोबाइल अलार्म से होती है, वहीं रात खत्म होती है अनगिनत रील्स और पोस्ट्स की स्क्रॉलिंग पर। यह आदत अब सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि टीनएजर्स भी इसकी गिरफ्त में आ गए हैं। स्क्रीन अब सिर्फ पढ़ाई या ज्ञान का ज़रिया नहीं, बल्कि एंटरटेनमेंट और सोशल कनेक्शन का सबसे बड़ा माध्यम बन चुकी है। लेकिन यही डिजिटल डोज़ धीरे-धीरे युवाओं की सेहत पर बुरा असर डाल रही है — मानसिक रूप से भी और शारीरिक रूप से भी।

बढ़ता स्क्रीन टाइम, घटती सेहत

विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर किशोरों में कई तरह की समस्याएं खड़ी कर रहा है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों को थकाती है और लगातार बदलता डिजिटल कंटेंट दिमाग को हाइपर एक्टिव कर देता है — जिससे नींद की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है।

नींद पर संकट

अगर कोई बच्चा हर दिन 5-6 घंटे मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट पर बिता रहा है, तो उसकी नींद का चक्र पूरी तरह से बिगड़ सकता है। नतीजा – चिड़चिड़ापन, थकान, ध्यान भटकना और गंभीर मामलों में डिप्रेशन तक के लक्षण।

सोशल मीडिया और मानसिक तनाव

फिल्टर्ड फोटो, परफेक्ट लाइफ और ग्लैमरस पोस्ट्स किशोरों में एक आभासी तुलना की भावना पैदा कर देते हैं। यह उन्हें आत्मविश्वास की कमी, बेचैनी और तनाव की ओर धकेल सकता है। धीरे-धीरे यह स्थिति एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों का रूप ले लेती है।

फिजिकल हेल्थ को भी नुकसान

  • आंखों में जलन और सूजन
  • लगातार सिरदर्द या माइग्रेन
  • बैठने के गलत तरीके से गर्दन और पीठ में दर्द
  • एक्टिविटी की कमी से मोटापा

समाधान क्या है?

  • स्क्रीन टाइम सीमित करें – किशोरों के लिए प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे स्क्रीन टाइम तय करें।
  • डिजिटल ब्रेक लें – सप्ताह में एक दिन “नो स्क्रीन डे” अपनाएं।
  • फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा दें – आउटडोर खेल, योग, या डांस जैसी एक्टिविटी शामिल करें।
  • सोशल मीडिया की रियलिटी समझाएं – बच्चों से बातचीत करें कि जो दिखता है, वही सच नहीं होता।
  • सोने से पहले स्क्रीन से दूरी – रात को सोने से कम से कम 1 घंटा पहले मोबाइल या टैबलेट दूर रखें।

स्क्रीन की लत एक गंभीर और बढ़ती समस्या है, जो हमारी युवा पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा रही है। समय रहते सतर्क रहना, स्मार्ट पैरेंटिंग और संतुलित रूटीन ही इस डिजिटल डिपेंडेंसी का इलाज है।

Disclaimer: ये जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञ सलाहों पर आधारित है। किसी भी हेल्थ से जुड़ी सलाह को अमल में लाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।