Pradosh Vrat July 2025: जुलाई में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत? जानिए शुभ तिथि, पूजा का समय और इसका महत्व

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जुलाई में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत?
जुलाई में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, जिसे करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर शाम के समय शिव-पार्वती की विधिपूर्वक आराधना करते हैं। कहा जाता है कि इस उपवास से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक अहम कदम होता है। आइए जानते हैं जुलाई 2025 में प्रदोष व्रत कब पड़ेगा और इसकी पूजा का शुभ समय क्या है।

आषाढ़ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत – कब और कब तक?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास का दूसरा प्रदोष व्रत 8 जुलाई 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। पंचांग के मुताबिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 7 जुलाई की रात 11:10 बजे से हो रही है और यह तिथि 8 जुलाई की रात 12:38 बजे तक प्रभावी रहेगी। चूंकि व्रत की तिथि का निर्धारण उदयकाल से होता है, इसलिए प्रदोष व्रत 8 जुलाई को ही रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त:

  • इस दिन पूजा का उत्तम समय शाम 07:22 से रात 09:23 तक रहेगा। यह काल ‘प्रदोष काल’ कहलाता है, जो शिव उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इससे पहले, 23 जून 2025 को सोम प्रदोष व्रत रखा गया था, जो आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष उपवास था।

प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित प्रमुख व्रतों में से एक है। धार्मिक ग्रंथों में इसका विशेष स्थान है। मान्यता है कि जो श्रद्धा भाव से इस दिन व्रत रखता है और शिव जी की उपासना करता है, उसे मानसिक शांति के साथ-साथ पारिवारिक सुख भी प्राप्त होता है। साथ ही यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य को भी बढ़ाता है।

इस बार यह व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। सप्ताह के जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसी के अनुसार उसका नाम रखा जाता है — सोमवार को पड़े तो ‘सोम प्रदोष’, शुक्रवार को पड़े तो ‘शुक्र प्रदोष’ आदि।

क्यों रखें प्रदोष व्रत?

  • जीवन के कष्ट दूर करने के लिए
  • शिव-पार्वती की विशेष कृपा पाने के लिए
  • पारिवारिक सुख और सौहार्द बढ़ाने के लिए
  • आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की दिशा में अग्रसर होने के लिए

नोट: यह लेख परंपरागत मान्यताओं और पौराणिक जानकारी पर आधारित है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या उपवास को करने से पहले योग्य पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।