Positive Zindagi: अक्सर हम दूसरों के बारे में बातें ज्यादा करते हैं। खुद के बारे में कम। हम दूसरों के बारे में ज्यादा जानते हैं और अपने बारे में कम। इसी चक्रव्यूह में फंसकर हम बहुत कुछ खो देते हैं।मशहूर मीडिया प्रोफेशनल यूट्यूबर और बिजनेस कोच अशोक कुशवाहा का कहना है कि दोस्तों अगर आपको अपनी जिंदगी में सफल होना है,तो बेहद जरूरी है अपने अंदर धैर्य और साहस का होना।
इन गुणों के होने पर ही हम चुनौतियों से पार पा सकते हैं। आपको एक कहानी सुनाते हैं। एक भिखारी था उसने पूरी जिंदगी उसने भीख मांगी। वह भी एक जगह पर बैठकर। इसलिए इतना प्रसिद्ध हो गया कि नेविगेशन में भी आने लगा। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। लोगों ने सोचा कि चलो इसका अंतिम संस्कार कर देते हैं।
कुछ लोगों ने कहा कि भिखारी था सफाई से नहीं रहता होगा चलो आसपास की जगह को साफ कर दिया जाए। फिर कुछ लोगों ने कहा कि थोड़ी सी खुदाई भी कर दी देते हैं जैसे ही खुदाई शुरु की एक फावड़ा एक लोहे के बड़े से बक्से में लगा। जब और खोदा को वहां एक बहुत बड़ा खजाना मिला। लोग कहने लगे कि कितना बड़ा बेवकूफ था। थोड़ा अपने नीचे खुदाई कर लेता तीन पुश्तें बैठकर खातीं फिर भी धन कम न होता।
वह लोग सही कह रहे थे लेकिन क्या हमने अपने नीचे कभी खुदाई की है। आज आप जो भी काम कर रहे हैं या जहां भी हैं और उससे संतुष्ट नहीं है तो हमें भी अपने अंदर झांकने की जरूरत है।
Positive Zindagi: शौर्य और साहस के साथ करें सामना
जब भगवान श्रीराम और रावण की लड़ाई हो रही थी। तब विभीषण बहुत ही कन्फयूज था। उसने भगवान राम से कहा कि यह रावण है। कुंभकरण और मेघनाद नहीं है। यह वीर भी है और इसके अंदर प्रचंड साहस भी है। जैसा दिखता है वैसा ही है। इसके पास रथ भी है और इसके पास अस्त्र-शस्त्र भी हैं।
भगवान श्रीराम कहते हैं कि मेरे पास भी अस्त्र-शस्त्र हैं, लेकिन फर्क बस इतना है कि वे दिखते नहीं हैं। तब भगवान विभीषण से बोलते हैं कि इस दुनिया में दो तरह के साधन होते हैं। एक आंतरिक साधन और दूसरे वाह्य साधन। जिन लोगों के पास आंतरिक साधन होते हैं उनके पास बाह्य साधन अपने आप आ जाते हैं।
Positive Zindagi: हिम्मत और धैर्य बनाएं रखें
किसी को अगर बाह्य साधन मिल भी जाएं अगर आंतरिक साधनों का विकास नहीं किया है तो वाह्य साधन रुकेंगे भी नहीं। विभीषण रथ मेरे पास भी है और उस रथ के दो पहिए हैं। पहला पहिया है शौर्य का।
मशहूर मीडिया प्रोफेशनल यूट्यूबर और बिजनेस कोच अशोक कुशवाहा का कहना है कि अगर आप कोई नया काम करने आए हैं या करने जा रहे हैं तो उसे करने में डर लगना चाहिए फिर भी उस काम को करने का शौर्य होना चाहिए। अगर आपके पास शौर्य नहीं है तो भी आप कोई काम नहीं कर सकते हैं। साथ ही उस काम को करने में खुशी भी होनी चाहिए। हो सकता है आपने काम शुरू किया हो और शुरुआती सफलता न मिल रही हो फिर भी लगातार काम करने का शौर्य होना चाहिए।
Positive Zindagi: विभीषण दूसरा पहिया है धैर्य का। आज ज्यादातर लोगों के पास धैर्य ही नहीं होता है। या होता है तो बहुत कम। आपने काम शुरू किया पता चला एक महीने में ही बंद कर दिया। छह महीने में ही बंद कर दिया। जिसके पास यह दो गुण हैं वह कुछ भी कर सकते हैं।
इसी वाकये का ताजा उदाहरण क्रिकेटर प्रवीण तांबे हैं जिन्होंने लगातार 20 वर्षों तक क्रिकेट खेला। उन्हें 41 साल की उम्र में आईपीएल खेलने का मौका मिला। जहां अधिकतर खिलाड़ी सन्यास ले लेते हैं। उन्हें हैट्रिक भी ली, लेकिन कभी भी धैर्य नहीं खोया।
इसका एक उदाहरण फिल्म दामिनी में भी है। जब अमरीश पुरी का एक साथी बंदूक सनी देवल पर तानता है तो सनी देवल कहते हैं कि यह खिलौने बाजार में बहुत बिकते हैं लेकिन इन्हें चलाने का जो जिगरा यानी साहस चाहिए वह किसी भी बाजार में नहीं मिलता है।
बात बिल्कुल सही है, लेकिन अगर आप अच्छी किताबें पढ़ते हैं, ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो अपनी जिंदगी में सफल हैं। जिन्होंने अपनी जिंदगी में कुछ करके साबित किया है तो आपके अंदर भी शौर्य और धैर्य आ सकता है।
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