भारत में गाय को पूजनीय माना गया है और इससे जुड़ी हर चीज का अपना विशेष महत्व है – फिर चाहे वह गोमूत्र हो या गोबर। पारंपरिक भारतीय संस्कृति में गोबर का उपयोग सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका इस्तेमाल घरों को साफ-सुथरा, सुरक्षित और ठंडा रखने के लिए भी किया जाता रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह रिवाज़ आज भी प्रचलित है, लेकिन अब शहरी इलाकों में भी गोबर की उपयोगिता को फिर से पहचान मिलने लगी है।
दिल्ली कॉलेज की दीवारों पर गोबर का लेप बना चर्चा का विषय
हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल ने कॉलेज की दीवारों पर गोबर का लेप करवाया। इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर यह विषय चर्चा में आ गया। उनका कहना था कि गाय का गोबर गर्मियों में दीवारों को ठंडा रखने में मदद करता है। यह बात सुनने में भले ही पारंपरिक लगे, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक आधार भी मौजूद हैं।
गोबर से दीवारें कैसे रहती हैं ठंडी?
पुराने जमाने में मिट्टी, लकड़ी और गोबर जैसी प्राकृतिक चीज़ों से घर बनाए जाते थे। इन सामग्रियों की खासियत होती है कि ये तापमान को संतुलित रखने में मदद करती हैं। गाय का गोबर खासतौर पर गर्मी सोखने और ठंडक बनाए रखने की क्षमता रखता है। जब इसे दीवारों या ज़मीन पर लगाया जाता है, तो यह प्राकृतिक इंसुलेटर की तरह काम करता है – गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्माहट बनाए रखता है। इससे न सिर्फ बिजली की खपत घटती है, बल्कि घर का तापमान भी स्वाभाविक रूप से संतुलित रहता है।
कीटाणु और बैक्टीरिया को करता है खत्म
गोबर में ऐसे कई जैविक तत्व होते हैं – जैसे लैक्टिक एसिड और अमोनिया – जो हानिकारक जीवाणुओं और कीटों को नष्ट करने में सहायक होते हैं। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी घरों की ज़मीन और दीवारों पर गोबर का लेप किया जाता है। इससे मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीटों से सुरक्षा मिलती है, साथ ही घर का वातावरण भी स्वच्छ और सकारात्मक बना रहता है।
चाहे धार्मिक आस्था हो या वैज्ञानिक आधार, गोबर का इस्तेमाल एक बार फिर शहरी क्षेत्रों में लौट रहा है। जहां महंगे केमिकल पेंट्स और इंसुलेशन के विकल्प मौजूद हैं, वहीं प्रकृति प्रदत्त यह उपाय पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और असरदार भी है। शायद यही वजह है कि लोग अब फिर से पारंपरिक ज्ञान की ओर लौट रहे हैं।