सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि पति का अपनी पत्नी के स्त्री धन पर कोई अधिकार नहीं होता है। पति स्त्री धन का इस्तेमाल अपने संकट के समय पर कर सकता है लेकिन उसकी मोरल ड्यूटी ये बनती है कि वह ये धन अपनी पत्नी को वापस लौटा दे। आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट द्वारा ये बात एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि स्त्रीधन, पति और पत्नी की साझेदारी की सम्पत्ति नहीं है और इस धन पर पति का मालिकाना हक बिल्कुल नहीं है। शादी से पहले ,शादी के समय या फिर विदाई के समय या उसके ससुराल आने के बाद, स्त्री को मिली सभी संपत्ति, उसका स्त्रीधन है और वह इसका इस्तेमाल अपने मन के मुताबिक कर सकती है।
किस मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला?
केरल की एक महिला द्वारा दावा किया गया था कि शादी के समय उसके परिवारवालों की तरफ से सोने के सिक्के, गहने और 2 लाख रुपये का चेक मिला था जिसे उसके पति और सास ने उधारी चुकाने में खर्च कर दिया। आपको बता दें पहले यह मामला 2011 में फैमिली कोर्ट पहुंचा था और फिर हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि महिला अपने आरोपों को साबित करने में सक्षम नहीं है। महिला ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि स्त्रीधन पर पूरी तरह से महिला का अधिकार है और इस मामले में महिला के पति को 25 लाख रुपये देने का निर्देश भी दिया। सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता का कहना है कि स्त्री धन पत्नी और पति की सांझेदारी की संपत्ति नहीं है और पत्नी का अपनी इच्छा के मुताबिक इसे बेचने का पूरा अधिकार है।