आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर लड्डू विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT का गठन करने के आदेश जारी किए है। राज्य की SIT को कोर्ट द्वारा खत्म कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पांच सदस्यीय जांच टीम बनाई जानी चाहिए। इस टीम में दो अधिकारी CBI से, दो अधिकारी राज्य सरकार के और एक अधिकारी FSSAI का होना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पहले इस मामले की जांच आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारी कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच राज्य सरकार की SIT नहीं करेगी और नई SIT के गठन को लेकर निर्देश दिए।
बता दें, कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने पुरानी SIT पर भरोसा जताया था, लेकिन कोर्ट द्वारा नई SIT का गठन कर दिया। जस्टिस गवई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक नाटक बने। कल यानी बुधवार को इस मामले की सुनवाई टल गई थी और एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि शुक्रवार को केंद्र का जवाब रखेंगे। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि क्या राज्य सरकार की एसआईटी काफी है और तब सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि मैंने मुद्दे पर गौर किया है। एक बात साफ है कि अगर इस आरोप में सच्चाई का कोई अंश है तो यह अस्वीकार्य है. मुझे एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ कुछ नहीं मिला।
जस्टिस गवई ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि अगर जांच कराई जाए तो मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं है। रोहतगी ने कहा कि हम एसआईटी के साथ जाना चाहते हैं। याचिकाकर्ता के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच हो तो यह उचित होगा। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मामले की जांच कर रही आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा गठित SIT के सदस्यों पर भरोसा है। SG ने कहा कि उनकी सलाह है कि SIT जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए।
तिरुपति लड्डू विवाद?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि राज्य में पिछली सरकार के दौरान तिरुपति में लड्डू तैयार करने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। नायडू के इस बयान के बाद बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया। 30 सितंबर को इस मामले में सुनवाई हुई और इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा था कि इस मामले में कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें।