दाऊदी बोहरा समाज की नाबालिग लड़कियों के साथ किए जाने वाले महिला जननांग विकृति (खतना) (FGM) पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि इस बारे में उसके पास कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।
मंत्रालय ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने शपथ पत्र में कहा कि वर्तमान में कोई आधिकारिक आंकड़ा या अध्ययन नहीं है जो भारत में FGM के होने की बात करता है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के FGM प्रभावित देशों की लिस्ट में भारत शामिल नहीं है।
बाल अधिकारों के लिए लड़ने वाली अधिवक्ता सुनीता तिवारी ने याचिका दायर कर खतना या FGM जैसे अमानवीय कृत्य पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इसे एक संज्ञेय और गैर- जमानती अपराध बनाया जाना चाहिए।
मई 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इसे अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा करार दिया था। बेंच ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार से इस बारे में विस्तृत जवाब मांगा था। इन राज्यों में दाऊदी बोहरा समाज के ज्यादातर लोग रहते हैं।
भारत में टाइप 1 FGM (क्लिटोरल हुड को हटाने) की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए काम कर रही मासूमा रानाल्वी ने मई में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को भी इस बारे में अवगत कराया था। इसके तुरंत बाद, मेनका गांधी ने कहा था कि सरकार FGM को गैरकानूनी घोषित करने के लिए कानून लाएगी। अंतरिम उपाय के रूप में, मंत्रालय ने राज्यों को दिशानिर्देश देने की बात भी कही थी। लेकिन अभी तक मंत्रालय ने इस बारे में कुछ नहीं किया। रानाल्वी ने बताया कि उन्होंने भारत में 100 से ज़्यादा बोहरा महिलाओं का सर्वे किया जिसमें से अधिकांश इस कुप्रथा की शिकार थीं ।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि FGM का कुरान में कोई संदर्भ नहीं है और यह मूल अधिकारों और बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन है। इसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के 27 देशों में प्रतिबंधित किया गया है। भारत ने 30 दिसंबर, 2012 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें FGM पर विश्वव्यापी प्रतिबंध की बात है। इसलिए भारत को इसे अवैध घोषित करना चाहिए।
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सभी प्रतिवादियों से कहे कि वह अपने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को FGM के मामलों में IPC के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दें, जब तक कि कोई अलग सख्त कानून नहीं बनता है।
बता दें कि शिया मुस्लिम दाउदी बोहरा समुदाय द्वारा गुपचुप तरीके से FGM प्रथा को अंजाम दिया जाता है। दुनिया में इस समुदाय की कुल जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। FGM के बारे में कुरान में कोई ज़िक्र नहीं है लेकिन समुदाय ने इस परंपरा को धार्मिक रूप दे दिया है।
दाऊदी बोहरा समाज की कई महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी खतना की इस सदियों पुरानी परंपरा को अवैध घोषित करने की मांग की हैं।