रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एनसीएलटी ने अपने आदेश में केंद्र सरकार से यूनिटेक कंपनी की बागडोर संभालने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (12-12-2017) को इस याचिका पर सुनवाई करेगा।
दरअसल एनसीएलटी ने रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को तगड़ा झटका दिया था। शुक्रवार को ट्रिब्यूनल ने सरकार को कर्ज के बोझ तले दबी इस कंपनी के 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की अनुमति दे दी थी और कंपनी की बागडोर अपने हाथों में लेने का आदेश दिया था। जस्टिस एम. एम. कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय एनसीएलटी बेंच ने सरकार को 20 दिसंबर तक निदेशक के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले 10 लोगों के नाम देने के निर्देश दिए थे। यूनिटेक मैनेजमेंट पर पैसे के हेरफेर और कुप्रबंधन का आरोप लगने के बाद कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी का प्रबंधन संभालने के लिए एनसीएलटी का रुख किया था।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने यूनिटेक की तरफ से कहा गया कि उसके बैंक खाते सील हैं और कंपनी और जेल में बंद उसके प्रमोटरों को अदालत के निर्देश के मुताबिक 750 करोड़ रूपए जमा करने में समस्या आ रही है। यूनिटेक की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पूरी फर्म का प्रबंधन सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है और इसलिए हमारी अपील पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। कंपनी की दलीलों पर विचार के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई के लिए राज़ी हो गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह जेल में बंद यूनीटेक के प्रबध निदेशक संजय चंद्रा को संभावित खरीदारों के साथ बातचीत के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध कराएं क्योंकि कोर्ट ने मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के लिये उन्हें दिसंबर के अंत तक 750 करोड रूपए जमा कराने का आदेश दिया है। अदलात ने इससे पहले के अपने आदेश में कहा था कि यह पैसा दिसंबर के अंत तक कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराए जाने के बाद ही जेल में बंद यूनीटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर को जमानत दी जाएगी।