Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट भी साइबर अपराधियों से बची नहीं है।गुरुवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट की साइट पर साइबर अटैक की खबर सामने आई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि उसकी रजिस्ट्री को उसकी वेबसाइट पर फिशिंग हमले के बारे में अवगत कराया गया है।शीर्ष अदालत ने कहा कि आधिकारिक वेबसाइट की नकल करते हुए एक फर्जी वेबसाइट बनाई और होस्ट की गई है।अटैक करने वाले यूआरएल के माध्यम से व्यक्तिगत विवरण और गोपनीय जानकारी मांग रहे हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री कभी भी व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं मांगती है।
Supreme Court:सीजेआई ने किया सतर्क
Supreme Court:सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा, किसी भी आगंतुक को दृढ़ता से सलाह दी जाती है। वह उपरोक्त यूआरएल पर किसी भी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी को साझा या प्रकट करने से बचें।इससे अपराधियों को जानकारी चुराने में मदद मिलेगी। शीर्ष अदालत ने जनता से कहा है कि वे किसी भी वेबसाइट लिंक की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना उसे न तो क्लिक करें और न ही साझा करें।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों और वादियों को फिशिंग अटैक के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की नकली वेबसाइट के बारे में आगाह किया। मौद्रिक लेनदेन के दौरान सावधानी बरतने के लिए कहा। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान भी सतर्क होने पर जोर दिया।संविधान पीठ में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, कृपया सावधान रहें। उस लिंक पर क्लिक न करें। इसका इस्तेमाल किसी भी तरह के मौद्रिक लेनदेन के लिए कतई न करें।
Supreme Court: जानिए सर्कुलर में क्या कहा?
Supreme Court: सर्कुलर में यह भी कहा गया कि ध्यान दें कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय का डोमेन www.sci.gov.in के नाम से पंजीकृत है।ऐसे में किसी भी यूआरएल पर क्लिक करने से पहले उसे सत्यापित करने के लिए हमेशा इस यूआरएल के ऊपर होवर (आगे पीछे करना) करें।कहा गया है, यदि आप उपरोक्त फिशिंग हमले का शिकार हुए हैं, तो कृपया अपने सभी ऑनलाइन खातों के पासवर्ड बदल लें।ऐसी अनधिकृत पहुंच की रिपोर्ट करने के लिए अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी से भी संपर्क करें।
कहा गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने फिशिंग हमले को लेकर गंभीर कदम उठाया है।इसकी जांच करने और अपराधियों के खिलाफ एक्शन लेने की सूचना
प्रवर्तन एजेंसियों को दी है।
Supreme Court: जानिए क्या होता है फिशिंग अटैक ?
Supreme Court: हैकिंग की दुनिया में साइबर अपराधी कई प्रकार से साइबर अटैक करते हैं।इन्हीं साइबर अटैक में से एक फिशिंग अटैक भी है। यह काफी अधिक लोकप्रिय साइबर अटैक है। इसके चंगुल में फंसने वाले लोग न सिर्फ पैसा बल्कि पर्सनल डाटा भी गंवा देते हैं। इस अटैक का इस्तेमाल हैकर यूजर की गोपनीय जानकारी जैसे बैंक अकाउंट संबंधित जानकारी, सोशल मीडिया अकाउंट इनफॉर्मेशन, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स इत्यादि को चुराने के लिए करता है। इस अटैक के तहत साइबर अपराधी यूजर को ईमेल, मैसेज या यूआरएल भेजते हैं, जिसमें एक लिंक अटैच होता है।
साइबर अपराधी यूजर को लिंक पर क्लिक करके अपने गोपनीय जानकारी को दर्ज करने के लिए निवेदन या फिर मजबूर करते है। जब यूजर डरकर या फिर लालच मे आकर उनके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक करता है।तब वह एक फिशिंग पेज पर पहुंच जाता है, जो बिल्कुल किसी सत्यापित कंपनी या संस्था के पेज की तरह दिखाई देता है। फिर जैसे ही यूजर उस पेज में अपना गोपनीय जानकारी दर्ज करके सबमिट करता है, उसकी गोपनीय जानकारी साइबर अपराधी के पास पहुंच जाता है और वह उसका दुरुपयोग करता है। यह बिल्कुल मछली पकड़ने की तरह होता है इसलिए इसे फिशिंग अटैक के नाम से जाना जाता है।
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