दिल्ली कूड़ा प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को एक बार फिर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में लगभग आपातकाल की स्थिति है और आप स्थिति को समझ ही नहीं रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली के प्राधिकरणों को विकल्प तलाशने का आदेश दिया।

दिल्ली में कूड़े के ढेर पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 अगस्त) को सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने उप राज्यपाल को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली में लगभग आपातकाल की स्थिति है फिर भी जिम्मेदार प्राधिकरण कोई गंभीर और वैकल्पिक कार्यवाही करने को तैयार नहीं हैं। आपके वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट दिसम्बर तक शुरू होंगें तब तक आप किसी के घर से निकला कचरा, दूसरों के घर के सामने फेकेंगे फिर क्यों न इसे राजनिवास के बाहर फेंका जाए?

ASG पिंकी आनंद ने कोर्ट को बताया कि सोनिया विहार के पास डंपिंग साइट का लोग विरोध कर रहे हैं। इस पर  जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि क्योंकि वहां साधारण लोग रहते हैं, तो आप उनके घरों के पास कूड़े का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं? आपको इसका विकल्प तलाशना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग तरह के कूड़े को एक साथ डंप किये जाने पर भी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि इन्हें अलग क्यों नहीं किया जाता? घरों से ही इसकी शुरुआत क्यों नहीं की जाती? कोर्ट ने कहा कि लोगों को इस बारे में बताएं और जो इसका पालन न करें उन पर जुर्माना लगाएं। अब मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने कूड़ा प्रबंधन को लेकर एलजी को फटकार लगाई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल से पूछा था कि उन्होंने दिल्ली में कचरा प्रबंधन के लिए अब तक क्या कदम उठाए है?  इसके  स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी लेकिन उससे भी कोर्ट खुश नहीं था और अब फिर कोर्ट ने कठोर वैकल्पिक कदम उठाने के आदेश दिए हैं।

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