दिल्ली में अवैध निर्माण और सीलिंग को लेकर लगातार तीसरे दिन सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भी लताड़ा। बुधवार (4 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि हम मानते हैं कि दिल्ली में धरना-प्रदर्शन के चलते अराजकता है। कोर्ट कानून को खत्म कर सकता है, लेकिन ये समाधान नहीं होगा । केंद्र ने कहा कि हमने पूरा प्रयास किया, रेगुलशन भी लाया गया लेकिन स्थानीय निकाय इसे लागू करने में नाकाम रहे। हमारा सुझाव है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले कि निगरानी करे और आपकी देखरेख में एक समयसीमा के अंदर काम हो।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मॉनिटरिंग करना हमारा काम नही है, हम पुलिस नहीं हैं। अगर हमने इस मामले को मॉनिटर किया तो हमारे घर के बाहर ही प्रदर्शन होने लगेगा। हमारे कई फैसलों के बाद धरना प्रदर्शन हुए। इस पर केंद्र ने कहा कि इस धरने-प्रदर्शन से कोर्ट को नहीं हमे दबाव में आने की जरूरत है। केंद्र ने कहा, कानून के खिलाफ कोई नही जा सकता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि हमें क्या करना है। दिल्ली की जनता गाय नहीं है कि उसे खूंटे से बांध दिया जाए, हमें सबका सम्मान करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम छोटे दुकानदारों को परेशान नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो पहली मंजिल पर टोयोटा, मर्सिडीज के शोरूम हैं, उनका क्या? क्या कोई कार्रवाई की गई? ये बिना फायर सेफ्टी नॉर्म के चल रहे हैं, इनको तो जाना ही पड़ेगा।
कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने कहा कि मास्टरप्लान में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अलग से प्रवाधान हैं और जो गलत होगा उसे हटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगो की वजह से केवल दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि बच्चे भी नुकसान उठा रहे हैं. सबके फेफड़े खत्म हो चुके हैं और हालात यही रहे तो आप आगे आने वाली पीढ़ी के भी फेफड़े खराब कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार अपनी आंखे बंद कर सकती है हम नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मास्टर प्लान में मनमाने तरीके से बदलाव कर रहे हैं और अवैध को वैध में बदल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार, डीडीए,एमसीडी और मॉनिटरिंग कमेटी बैठकर इसका समाधान निकाले और जो भी सुझाव हो उसे लेकर आये. ये मीटिंग एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी के चैंबर में होगी और सभी ऑथिरिटी के सक्षम अधिकारी इसमे शामिल रहेंगे। मामले की सुनवाई अब सोमवार को होगी।