Supreme Court ने बच्चे के सरनेम को लेकर एक बड़ा आदेश जारी किया है। दरअसल, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को बदलते हुए Supreme Court ने कहा है कि बच्चे के पिता की मृत्यु के बाद नसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां के पास अधिकार होगा कि वह अपने बच्चे का सरनेम क्या चाहती है। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
Supreme Court ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को पलटा
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले एक फैसला दिया था कि अगर बच्चे के पिता का निधन हो जाता है तो बच्चे के दस्तावेजों पर सौतेले पिता का सरनेम रहेगा। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि दस्तावेजों में महिला के दूसरे पति का नाम ‘सौतेले पिता’ के रूप में शामिल करने का हाई कोर्ट का निर्देश क्रूर है। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि इससे तथ्य के प्रति नासमझी को देखा जा सकता है। ऐसा फैसला बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को कैसे प्रभावित कर सकता है।
बच्चे के दादा-दादी ने दायर की थी याचिका
यह मामला 2008 का है, इसमें बच्चे के मृत पिता के माता-पिता ने मामले की सुनवाई की मांग की थी। इस दंपती ने नाबालिग बच्चे का अभिभावक बनने के लिए वार्ड अधिनियम, 1980 की धारा 10 के अंतर्गत एक पेटिशन दायर की थी। पहले इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में की गई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद बच्चे के दादा-दादी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की ओर रुख किया था। जिसमें यह फैसला सुनाया गया था कि बच्चे के दस्तावेजों पर सौतेले पिता का नाम होगा। इसको चुनौती देते हुए महिला सुप्रीम कोर्ट तक गई जहां इस फैसले को रद्द कर दिया गया।
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