Chhawla Rape Case: छावला रेप केस के दोषियों की फांसी की सजा पर सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद Supreme Court ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर इस मामले में कोई पक्ष अगर और कुछ कहना चाहता है तो वह अपना लिखित जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ ने 29 मार्च के अपने आदेश में सजा के मुद्दे पर सुनवाई के लिए मामले को सात अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया है। बता दें कि दोषियों ने Delhi High Court द्वारा उन्हें दोषी ठहराते हुए मौत की सजा देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
Chhawla Rape Case: 2012 में दरिदों ने की थी हैवानियत की सारी हदें पार
दिल्ली के Chhawla में 19 साल की एक युवती का 2012 में अपहरण कर हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद दरिदों द्वारा पीड़िता की आंखों पर तेज़ाब डाला गया था। बता दें कि युवती का शव क्षत-विक्षत हालत में बरामद हुआ था। दिल्ली की निचली अदालत ने फरवरी 2014 में इस मामले में तीन मुख्य अभियुक्तों- रवि कुमार, राहुल और विनोद को युवती के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 2014 में ही निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था दोषी वहशी जानवर की तरह शिकार की तलाश में थे। इन तीनों के खिलाफ अपहरण, उसके साथ रेप और हत्या समेत कई धाराओ में केस दर्ज किया गया था।
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