सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। तीस्ता ने उनके, उनके पति और उनके ‘सबरंग’ ट्रस्ट के फ्रीज़ किए गए बैंक खातों को खोलने के लिए याचिका लगाई थी जिसे शुक्रवार(15 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

तीस्ता सीतलवाड़ ने साल 2002 के गुजरात दंगों मे गुलबर्ग सोसाइटी में पीड़ितों के लिए एक मेमोरियल बनाने के लिए चंदा इक्ट्ठा किया लेकिन उन पर इसमें हेराफेरी करना का आरोप लगा और उन पर केस भी दर्ज किया गया। 2015 में गुररात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीस्ता, उनके पति जावेद आनंद और उनके ‘सबरंग’ ट्रस्ट के 6 बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की खातों को दोबारा खोलने की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की, सिब्बल ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। सात सालों में 7870 रुपये के खर्च को सरकार द्वारा इस तरह से बताया जा रहा है कि जैसे लाखों खर्च किए गए हों। बता दें कि तीस्ता मान चुकी हैं कि इन रुपयों में से कुछ पैसों से शराब का बिल दिया गया था।

तीस्ता सीतलवाड़ की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि गुलबर्ग सोसाइटी में मेमोरियल बनाने के लिए जो चंदा लिया गया वह ‘सबरंग’ ट्रस्ट के खाते में आया जो कि 4.32 लाख रुपये है लेकिन पुलिस ने उनके दो निजी खाते और एक अन्य NGO ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ का खाता भी फ्रीज़ कर दिया, जिसका कोई औचित्य नहीं बनता था।

दूसरी तरफ गुजरात सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने गुलबर्ग सोसाइटी में दंगा पीड़ितों के लिए मेमोरियल बनाने के नाम पर जो चंदा इकट्ठा किया उसका दुरुपयोग किया गया। पुलिस ने जांच में पाया कि तीस्ता ने  निजी तौर पर चंदे के पैसे को शराब खरीदने, खाना और कपड़ों के लिए खर्च किया और दूसरे NGO और अपने निजी खातों में ट्रांसफर किया।

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