सभी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में आ रही रुकावटें दूर हो गई हैं। पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। कोरोना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ रथयात्रा की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी।
शताब्दियों से चली आ रही भगवान #जगन्नाथ_पुरी में #रथयात्रा की परंपरा नहीं टूटेगी।#सुप्रीम_कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर कमेटी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के को-ऑर्डिनेशन में यात्रा निकालें। लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं होना चाहिए। #RathYatra2020 pic.twitter.com/HDbdxLhWLg
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) June 22, 2020
हम आपको बता दें कि देश में कोरोना के महासंकट से डरते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संकट हरण भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी। इस यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं। विदेश से विदेशी भक्त भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना फैलने के डर से इस यात्रा को रोक देने का आदेश दिया था औऱ कहा था यदि रथयात्रा निकालने का आदेश दिया तो भगवान माफ नहीं करेंगे।
लेकिन बाद में रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई थी। इन याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने तीन जजों की बेंच गठित की। इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी शामिल रहे।
बहस की शुरुआत करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए। किसी भी मुद्दे से समझौता नहीं किया गया है और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। मेहता ने कहा कि शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है। केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है। इससे पहले स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने #सुप्रीम_कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में दोबारा विचार करें। पुरी मठ से जारी बयान में कहा- किसी की यह भावना हो सकती है कि अगर इस संकट में रथयात्रा की परमिशन दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे, लेकिन सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे।
पुरी #रथयात्रा पर #सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस फैसले के खिलाफ #6रिव्यू_पिटीशन पर आज सुनवाई है। उनमें अपील की गई है कि रथयात्रा को बदले रूप में निकालने की अमुमति देने पर विचार किया जाए।#स्वामी_निश्चलानंद_सरस्वती ने भी कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में दोबारा विचार करें। pic.twitter.com/W8CCVm7qeb
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इस पर सीजेआई बोवड़े ने पूछा कि शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है? पहले से ट्रस्ट और मंदिर कमेटी ही आयोजित करती है तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है? वहीं, मेहता बोले- नहीं, हम तो मशविरा की बात कर रहे हैं। वो धार्मिक सर्वोच्च गुरु हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कर्फ्यू लगा दिया जाय. रथ को सेवायत या पुलिसकर्मी खींचें, जो कोविड निगेटिव हों।
इस पर सीजे सीजेआई ने कहा कि हमें पता है. ये सब माइक्रो मैनेजमेंट राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। केंद्र की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य के हित मुताबिक व्यवस्था हो।