Hindu Succession Act: हिंदू उत्तराधिकार कानून के महिलाओं से भेदभाव करने वाले प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से मामले पर 4 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में केंद्र को कहा है कि ये आखिरी मौका है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आलसी भरे रवैये को देखते हुए मामले को चुनौती देने वाली याचिका को तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया था।
Hindu Succession Act: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिंदू उत्तराधिकार कानून पर फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार जवाब दाखिल नहीं करती है तो, सुप्रीम कोर्ट खुद आदेश पास कर देगा। बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार कानून के विरोध में 2021 में एक महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इस कानून के प्रावधान केवल लैंगिग आधार पर भेदभाव करने वाला है।
महिला सशक्तिकरण की तमाम पहलों के बीच अभी भी 65 साल पुराना एक कानून है जो संपत्ति के मामले में पुरुषों और महिलाओं के साथ भेदभाव करता है। इस पर 7 दिसंबर 2021 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह तो सचमुच भेदभाव है।
Hindu Succession Act: क्या कहता है कानून?

जाहिर है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15 और 16 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी गई है। इन प्रावधानों के मुताबिक अगर किसी शादीशुदा निःसंतान पुरुष की मौत बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उस स्थिति में उसकी संपत्ति पर उसके माता-पिता का हक होता है। या फिर उसके रिश्तेदारों का मालिकाना हक होता है।
वहीं महिला के मामले में यदि किसी निःसंतान विधवा की मौत हो जाती है तो उसकी संपत्ति मायके पक्ष माता-पिता के बजाय उसके ससुराल पक्ष के माता-पिता या रिश्तेदारों को मिलती है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में 2005 में संशोधन किया गया था। इसमें बताया गया है कि पैतृक संपत्ति पर बेटियों का पूरा अधिकार है।
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