दिल्ली में रोहिणी के विजय विहार इलाके में मौजूद आध्यात्मिक आश्रम के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को दर्ज हुई काउंटर एफआईआर पर भी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पूछा कि एफआईआर के बारे में कोर्ट को जानकारी क्यों नहीं दी गयी? कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या दिल्ली पुलिस इसी तरह से काम करती है? कोर्ट ने डीसीपी को निर्देश दिया कि वह संबंधित एसएचओ के बारे में पुलिस आयुक्त को भी जानकारी दें।

हाईकोर्ट बेंच ने टिप्पणी की कि दिल्ली में महिलाओं को इस तरीके से कैद करके रखा जाता है और दिल्ली पुलिस बत्तख की तरह बैठी रहती है। हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आश्रम की तरफ से यूट्यूब पर डाले जाने वाले वीडियो कुछ और हैं जबकि रेड के बाद हकीकत कुछ और ही निकलती है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आज आश्रम के कर्ता धर्ता वीरेंद्र देव दीक्षित की पेशी नहीं हुई। आश्रम का वित्तीय कामकाज संभालने वाले डिसिल्वा ने कोर्ट में वीरेंद्र देव के बारे में कोई जानकारी होने से इंकार किया। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर की और आश्रम के वकील से कहा कि आप अदालत की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं जो सीधे तौर पर अदालत की अवमानना का मामला बनता है। हम आपके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त टीम ने कोर्ट को जानकारी दी कि अभी तक 48 से ज्यादा लड़कियों को आश्रम से छुड़ाया गया है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कोर्ट को बताया कि रेड की वीडियोग्राफी है। दो घंटे तक आश्रम के गेट नहीं खोले गए यहां तक कि टीम को भी बंधक बना लिया गया था।

मामले में अगली सुनवाई 5 फरवरी 2018 को होगी।

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