Delhi High Court ने कहा- महिला शादीशुदा हो या न हो उसे असहमति से बनाए जा रहे संबंध को ना कहने का अधिकार है

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Delhi High Court
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Delhi High Court: वैवाहिक बलात्कार या फिर कह सकते हैं मैरिटल रेप (Marital Rape), सुनने में थोड़ा अजीब लगता है वैवाहिक रेप क्या होता है? शादी के बाद पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने को वैवाहिक रेप कहते हैं। संविधान के अनुच्छेद (Articles) 19, 20, 21A और 22 में स्वतंत्रता का अधिकार है। पर इस बात को कुछ लोग महज कागजी समझते हैं और किसी भी लिंग पर अपना अधिकार जमाने लगाते हैं। यह कानून ना कहने की भी आजादी देता है। चाहे वो पति के साथ यौन संबंध बनाना ही क्यों न हो। अगर पति के साथ यौन संबंध बनाने का मन नहीं है तो महिला ना कह सकती है। इस पर आज दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा हो या नहीं हर महिला को असहमति से बनाए जा रहे यौन संबंध को मना करने का अधिकार है।

Delhi High Court ने कहा महिला कानून का सहारा नहीं ले सकती है

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वैवाहिक बलात्कार को आपराधिकरण करार दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि मैरिड और अनमैरिड महिलाओं के सम्मान में अंतर नहीं किया जा सकता है। किसी महिला की शादी हुई हो या नहीं हुई हो उसे असहमति से बनाए जा रहे संबंध को ना कहने का पूरा अधिकार है। पीठ ने पूछा, “यदि वह विवाहिता है तो क्या उसे ‘ना’ कहने का अधिकार नहीं है?

कोर्ट ने कहा कि एक महिला, महिला होती है। उसे किसी संबंध में अलग तरीके से नहीं तौला जा सकता है। न्यायालय ने यहां पर कानून की भी बात कही है। उसका पति जबरन यौन संबंध बनाता है तो वह महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) का सहारा नहीं ले सकती और उसे अन्य फौजदारी या दीवानी कानून का सहारा लेना पड़ेगा, ठीक नहीं है।

Delhi High Court मैरिटल रेप को अपराध मानने के लिए तैयार नहीं

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पर यहां पर ध्यान देने वाली बात यह कि सरकार यह तो कहती है कि महिला को असहमति से बनाए जा रहे यौन संबंध को मना करने का अधिकार है। पर सरकार जबरन बनाए गए संबंध को वैवाहिक बलात्कार मनाने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है और ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है। पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है।”

बता दें कि वैवाहिक बलात्कार पर 26 अगस्त 2021 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा था कि कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौन संबंध बनना भले ही जबरदस्ती की गई हो, रेप नहीं कहा जा सकता।

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