Delhi High Court ने सोमवार को एक महिला की याचिका को टाल दिया है जिसमें उसने पुलिस सुरक्षा की मांग यह कहते हुए की थी कि इस्लाम में धर्मांतरण (Conversion) के कारण उसे धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Rekha Palli) की पीठ याचिका को खारिज करने के लिए इच्छुक थी लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील उपस्थित नहीं थे और प्रॉक्सी वकील अदालत की सहायता करने की स्थिति में नहीं थे।
हमारे पास धमकियों की कोई डिटेल्स नहीं: UP DGP
Uttar Pradesh राज्य और उत्तर प्रदेश के DGP की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद (Garima Prasad) ने कहा कि याचिकाकर्ता को यूपी पुलिस द्वारा धमकी देने का कोई सवाल ही नहीं था और याचिकाकर्ता ने उनको मिली धमकियों की कोई डिटेल्स नहीं दी है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता समीर वशिष्ठ (Sameer Vashisht) ने कहा कि दिल्ली पुलिस के बार-बार प्रयास करने के बाद भी याचिकाकर्ता ने अपना एक टेलीफोन नंबर या ई-मेल आईडी नहीं दिया, खतरे की डिटेल्स देना तो दूर की बात है।
इन सबमिशन को सुनने पर जस्टिस पल्ली ने कहा कि याचिका में कुछ भी नहीं बचा लेकिन मामले को न्याय के हित में टाला जा रहा है और इस की सुनवाई 10 नवंबर को होगी।
27 मई को दिल्ली में किया था धर्मांतरण
याचिका के अनुसार रेणु गंगवार उर्फ आयशा अल्वी (Renu Gangwar alias Ayesha Alvi) ने 27 मई को दिल्ली में इस्लाम धर्म अपना लिया और इसके बाद उन्हें मीडियाकर्मियों के फोन आने लगे, जिसमें उन्होंने उनसे मिलने का अनुरोध किया और जिसे उन्होंने मना कर दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उपर्युक्त मीडियाकर्मी उनकी अनुमति के बिना उनके घर आए और उनकी तस्वीरें और वीडियो ले लिए और जिसके बाद उन्हें धमकी वाले फोन आने लगे कि उनके धर्मांतरण की खबर मीडिया में प्रकाशित की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
याचिका में निम्नलिखित राहत की मांग की गई है:
- अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देना कि महिला को किसी सरकारी एजेंसी या व्यक्ति द्वारा बलपूर्वक या जबरदस्ती दिल्ली से नहीं ले जाया जाए और उसे और उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए और उसके धर्मांतरण के संबंध में उसे परेशान या उससे पूछताछ न की जाए।
- मीडिया को उसके बारे में किसी भी दुर्भावनापूर्ण सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित नहीं करने और उसकी व्यक्तिगत डिटेल्स का खुलासा न करने और पहले से दिखाई गई सामग्री को हटाने का निर्देश देना।
- यूपी की एजेंसियों को उस महिला या किसी अन्य व्यक्ति को परेशान न करने का निर्देश देना, जिसने यूपी राज्य में धर्मांतरण नहीं किया है और जिस पर यूपी गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश, 2020 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।