Delhi High Court: भारतीय विमानों पर रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ VT लिखे होने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कोर्ट से विमानों से VT के साइन को बदलने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। इसके पीछे का कारण भी बताया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि विमानों पर VT का मतलब विक्टोरियन टेरिटरी या वायसराय टेरिटरी के रूप में माना जाता है। जिसे अंग्रेजों की विरासत के रूप में देखा जाता है। जो भारतीयों के लिए संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के शासन), अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (गरिमा का अधिकार) के विपरीत है।
याचिका में कहा गया है कि 1929 में ब्रिटेन ने सभी उपनिवेशों के लिए VT साइन को निर्धारित किया था। वहीं चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका ने आजादी के बाद अपने विमानों से VT की जगह अपने चिन्ह रख लिए थे। जबकि भारत में 73 साल बाद आज भी VT चिन्ह का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
Delhi High Court: VT साइन ब्रिटिश राज का प्रतीक
याचिकाकर्ता वकील और BJP नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय का कहना है कि भारतीय विमानों पर VT साइन के साथ किया गया पंजीकरण ब्रिटिश राज की विरासत का प्रतीक है। VT साइन स्वतंत्रता के बाद आज भी ब्रिटिश शासन को ही इंगित करता है।
याचिकाकर्ता ने याचिका में सवाल उठाते हुए कहा है कि आज भी भारत में विमानों पर VT कोड क्यों है?
जबकि भारत एक संप्रभु देश है इसलिए वायसराय टेरिटरी नहीं हो सकता है।
2004 में उड्डयन मंत्रालय ने कोड बदलने के लिए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन से संपर्क किया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। यह 1929 में ब्रिटिश शासकों ने हमें ये कोड दिया था, जो कि हमें ब्रिटिश क्षेत्र के रूप में दिखाता है। भारत की आजादी के 75 सालों बाद भी हमारा इस कोड को प्रयोग करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
Delhi High Court: गुलामी का प्रतीक है VT का प्रयोग
उन्होंने आगे कहा कि कई देश गुलामी में जी चुके हैं, लेकिन आजादी के बाद उन्होंने गुलामी की सभी निशानियों से छुटकारा पा लिया है। VT का प्रयोग हमारे लिए गर्व की नहीं शर्म की बात है। आजादी के बाद हमें अपना एक कोड बनना चाहिए और उसे इस्तेमाल करना चाहिए न कि ब्रिटिश शासन के दिए कोड का।
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