कोयला घोटाले के मामले में मधुकोड़ा और अन्य दोषियों को कल (16 दिसंबर) सज़ा सुनाई जाएगी। मधु कोड़ा समेत 4 दोषियों और VISUL कम्पनी को राजहरा नॉर्थ कर्नपुरा कोयला खदान के आवंटन के मामले में प्रिवेंशन ऑफ करेप्शन एक्ट के तहत बुधवार को सजा पर बहस पूरी हो गई थी।
CBI की विशेष अदालत में सजा पर बहस के दौरान मधुकोड़ा, एच सी गुप्ता, ए के बसु, VISUL कम्पनी के MD विजय जोशी और कंपनी की तरफ से सजा को कम से कम किये जाने की दलील रखी गई थी जिसका CBI ने विरोध किया।
मधु कोड़ा की तरफ कहा गया कि उनकी दो छोटी बच्चियां हैं,उन्होंने अपने स्वास्थय का भी हवाला दिया, ट्रायल के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने का हवाला दिया जिसके आधार पर सजा कम से कम दी जाये। वहीं बाकी दोषियों ने मेडिकल, फैमिली, बेदाग कार्यकाल, उम्र का हवाला देते हुए कम से कम सजा दिए जाने गुहार लगाई। VISUL कंपनी ने कहा कि किपनी की आर्थिक हालात ठीक नही है और कम से कम आर्थिक दंड दिया जाना चाहिए।
कैसे आया मामला सामने
कैग ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में तत्कालीन सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया है। इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कई फर्मो को बिना किसी नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे।
कोयला घोटाले में CBI के आरोप
VISUL ने आठ जनवरी 2007 को राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक के लिए आवेदन किया, VISUL कंपनी को झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोल ब्लॉक आवंटित नहीं किये जाने की अनुशंसा की थी इसके बावजूद तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने स्तर पर ही इस ब्लॉक को आवंटित करने की सिफारिश कर दी थी। VISUL कम्पनी को स्क्रिनिंग कमेटी की सिफारिश के आधार पर झारखंड की तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने कोल ब्लॉक आवंटित कर दिया। CBI ने इस मामले में आरोप लगाया की एचसी गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी बात छुपाई की झारखंड सरकार ने VISUL को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करने की सिफारिश की है।