सीजेआई रंजन गोगोई ने अभी हाल ही में मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला है। ऐसे में कोर्ट की गतिविधियों और उसकी व्यवस्था पर उनकी खास नजर है। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने आने वाले मामलों को जिस तरह से निपटाया है, उस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने खेद व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि कोई भी कोर्ट चला आता है और फैसला लेकर जाता है। रंजन गोगोई ने वकीलों से कहा कि ऐसे मामलों में तत्काल सुनवाई न की जाए जो बहुत जरूरी न हों। वरना ऐसे मामलों का उल्लेख करने वाले वकीलों के विशेषाधिकार का औचित्य खत्म हो जाएगा। सीजेआई ने एक प्रश्न पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मेरे सभी भाई एक ही बात कह रहे हैं। क्या हमें ऐसे मामलों को इंटरटेन नहीं करना चाहिए जिनके पास संवैधानिक महत्व है या लोगों के अधिकारों से जुड़े और प्रकृति के निराले मामले।’
सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और एएम जोसेफ की खंडपीठ ने वकीलों से कहा कि केवल उन मामलों का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया जाए जो इंतजार नहीं कर सकते। इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम के ऐसे मामले जो हाईकोर्ट से सुलझ गए थे, उन्हें सुप्रीम कोर्ट को 10 सालों तक उलझाकर रखने का क्या मतलब है? सीजेआई गोगोई ने कड़वी डोज की सलाह के तौर पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को उन जजों को न्यायिक कार्य से हटाने को कहा, जो अदालती कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं हैं। उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को उन जजों के बारे में जानकारी देने को कहा, जो काम के दौरान अनुशासन की अवहेलना कर रहे हैं।
बता दें कि जस्टिस गोगोई केस फाइलों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं और वह दलीलों के दौरान वकीलों को नई कहानी गढ़ने का मौका देने की बजाए उन पर सीधे तथ्यों की झड़ी लगाते हैं।