हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के एम जोसेफ जल्द ही सबसे बड़ी अदालत में जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पिछले काफी समय से जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने को लेकर विवाद हो रहा है। लेकिन अब खबर आ रहा है कि ये विवाद खत्म हो जाएगा। बताया जा रहा है कि अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की उन सिफारिशों को मान लिया है, जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के.एम. जोसेफ को सबसे बड़ी अदालत में जिम्मेदारी दी जाने की बात कही थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. एम. जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का मामला कई महीनों से लटका हुआ था।
जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति संबंधित सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 10 जनवरी को की थी। तब से लेकर अब तक यह मामला अधर में लटका पड़ा था। इस दौरान सरकार ने कई बार कॉलेजियम की सिफारिश को नामंजूर भी किया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ को पदोन्नति देने संबंधी सिफारिश की फाइल पुनर्विचार के लिये कॉलेजियम को ये कहते हुये लौटा दी थी कि ये प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानदंडों के अनुरूप नहीं है। यही नहीं, सरकार ने फाइल लौटाते हुये उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति जोसेफ की वरिष्ठता पर भी सवाल उठाये थे। जिसके बाद इसपर काफी विवाद भी हुआ था।
केंद्र ने 30 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ पर कॉलेजियम की सिफारिश को लौटा दिया था। केंद्र ने अनुभव का मसला उठाते हुए तर्क दिया था कि जस्टिस जोसेफ वरीयता क्रम में देश में 42वें स्थान पर आते हैं। जस्टिस जोसेफ उस पीठ के प्रमुख थे जिसने 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। लेकिन अब खबर है रही है सरकार ने शीर्ष अदालत भेजने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। जस्टिस के. एम. जोसेफ के साथ ही मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत शरण को भी प्रमोट किया जा सकता है। खबर है कि अगले हफ्ते ही राष्ट्रपति सचिवालय से नियुक्ति का आदेश जारी हो सकता है।