सीबीआई विवाद पर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट पेश की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देरी से जांच रिपोर्ट जमा करने को लेकर सीवीसी को फटकार भी लगाई।

रिपोर्ट पेश करते हुए सीवीसी की ओर से कहा गया कि यह 3 सेटों में है। इस पर कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट समय पर क्यों नहीं दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि रविवार को भी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री खोली गई थी फिर भी सीवीसी की रिपोर्ट पेश नहीं हुई। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों को भी शामिल किया है। बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। दरअसल, राव ने अंतरिम डायरेक्टर का पदभार संभालते ही सीबीआई के कई अधिकारियों के ताबड़तोड़ तबादले किए थे।

बता दें कि छुट्टी पर भेजे जा चुके सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को सीवीसी को 2 हफ्तों में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है। केंद्र सरकार ने वर्मा से सारे अधिकार वापस लेकर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है। सूत्रों के मुताबिक सीवीसी की जांच में वर्मा के खिलाफ किसी भी तरह के ठोस सबूत हाथ नहीं लगे हैं। वर्मा ने राकेश अस्थाना द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को बिंदुवार तरीके से नकारा है।

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बता दें वर्मा और अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद विवाद काफी गहरा गया था। बाद में केंद्र ने दोनों अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा दिया और दोनों से उनके सारे अधिकार वापस ले लिए थे। केंद्र के इन्हीं फैसलों को वर्मा ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

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