राजनीति में अपराधीकरण और काला धन पर रोक लगने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 फरवरी) को एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब किसी भी चुनाव से पहले उम्मीदवार को अपना, अपनी पत्नी या पति, और आश्रितों के आय और संपत्ति का स्रोत भी बताना होगा। इससे पहले उम्मीदवारों को सिर्फ अपने आय और संपत्ति का ब्यौरा देना होता था।

जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने NGO लोक प्रहरी की याचिका पर आदेश देते हुए साफ किया है कि हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति और आय का स्रोत बताना ही होगा। साथ ही उम्मीदवार की पत्नी या पति और आश्रितों के आय और संपत्ति का स्रोत भी बताना होगा। ये सारा ब्यौरा उम्मीदवार को एक हलफनामे के ज़रिये चुनाव का आवेदन देते समय चुनाव आयोग में जमा करना होगा।इससे उम्मीदवार के बारे में पूरी जानकारी मतदाता तक पहुंचेगी…इसका फायदा ये होगा की काले धन या भ्रष्टाचार की पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या कम से कम ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर लगाम लगाई जा सकेगी।

इससे पहले 2016 में चुनाव आयोग ने भी सरकार को ये सिफारिश भेजी थी। अप्रैल 2017 में केंद्र सरकार ने भी इस सिफारिश को आंशिक रूप में सहमति दी थी। केंद्र ने सिर्फ उम्मीदवार और उसके पति या पत्नी के आय और संपत्ति के स्रोत बताने को सहमति दी थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उम्मीदवारों को अपने आश्रितों की संपत्ति का भी स्रोत बताना होगा।

दो चुनावों के बीच नेताओं की संपत्तियों में बेतहाशा बढ़ोतरी को लेकर दाखिल याचिका पर CBDT ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। CBDT ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा याचिकाकर्ता की तरफ से आरोप लगाया गया है कि 26 लोकसभा सांसद, 11 राज्य सभा सांसद और 257 विधायकों की संपति में दो चुनावों के बीच बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। CBDT ने कहा है कि IT डिपार्टमेंट ने जांच की तो पाया कि 26 लोकसभा सांसदों  में से 7 लोक सभा सांसदों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि CBDT उन विधायकों और सांसदों की जांच कर रही है जिनकी आय और संपत्ति में कम समय में ज़्यादा इज़ाफ़ा हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here