दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर भेजने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी सुनवाई

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Supreme Court of India
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मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई द्वारा दिल्ली और एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के दो-न्यायाधीशीय आदेश पर पुनर्विचार का आश्वासन देने के एक दिन बाद, यह मामला गुरुवार को बड़ी बेंच के समक्ष आएगा। CJI गवई के निर्देश पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशीय बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

दो आदेशों में टकराव
सोमवार को न्यायमूर्ति जे.बी. पारडीवाला और आर. महादेवन की बेंच ने बढ़ते डॉग बाइट्स और हमलों के मामलों को देखते हुए आदेश दिया था कि आठ सप्ताह के भीतर दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखा जाए और उन्हें बाहर निकलने न दिया जाए।
यह मामला बुधवार को CJI के सामने उठाया गया, जब अधिवक्ता ननीता शर्मा ने तर्क दिया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दो परस्पर विरोधी आदेश मौजूद हैं। पहले के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम, 2023 लागू करने को कहा था, जिसके तहत नसबंदी और टीकाकरण किए गए आवारा कुत्तों को उसी इलाके में वापस छोड़ा जाना चाहिए।

न्यायालय की सख्त टिप्पणी
सोमवार के आदेश में न्यायमूर्ति पारडीवाला ने कहा था—”हम यह अपने लिए नहीं, बल्कि जनहित में कर रहे हैं। किसी भी तरह की भावनाएं इसमें न जोड़ी जाएं। जल्द से जल्द कार्रवाई हो… सभी इलाकों से कुत्तों को उठाकर शेल्टर में शिफ्ट करें। फिलहाल नियमों को भूल जाइए।” उन्होंने यह भी कहा कि “सभी पशु अधिकार कार्यकर्ता, क्या वे रेबीज़ से मरे लोगों को वापस ला सकते हैं? हमें सड़कों को पूरी तरह आवारा कुत्तों से मुक्त करना होगा।”
विरोध और व्यावहारिक चुनौतियां
इस आदेश का पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, सेलिब्रिटीज़ और कुछ राजनेताओं ने विरोध किया। उनका कहना है कि दिल्ली और एनसीआर के शहरों—जैसे नोएडा और गुरुग्राम—में इतने बड़े पैमाने पर कुत्तों को हटाने और शेल्टर बनाने की व्यवस्था नहीं है, खासकर इतने कम समय में। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा— “दिल्ली में तीन लाख कुत्ते हैं। इन्हें हटाने के लिए 3,000 पाउंड बनाने होंगे, जिनमें पानी, ड्रेनेज, शेड, किचन और चौकीदार होगा। इसकी लागत करीब 15,000 करोड़ रुपये आएगी। क्या दिल्ली के पास इतना पैसा है? 48 घंटे में गाज़ियाबाद, फरीदाबाद से तीन लाख कुत्ते आ जाएंगे क्योंकि दिल्ली में खाना है। कुत्ते हटाने पर जमीन पर बंदर आ जाएंगे… मैंने खुद अपने घर पर देखा है।” उन्होंने कुत्तों को “रोडेंट कंट्रोल एनिमल्स” बताया और कहा कि पेरिस में 1880 के दशक में कुत्ते-बिल्ली हटाने के बाद शहर में चूहों का आतंक हो गया था।

पहला आदेश: संवेदनशीलता पर जोर
पहले के आदेश में न्यायमूर्ति संजय करोल और जे.के. महेश्वरी की बेंच ने मौजूदा कानूनों और ABC नियमों के पालन पर जोर देते हुए कहा था कि मुद्दे से संवेदनशीलता के साथ निपटा जाए। बेंच ने कहा था— “किसी भी हाल में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं हो सकती। प्राधिकरणों को मौजूदा कानून की भावना और प्रावधानों के तहत कार्रवाई करनी होगी। सभी जीवों के प्रति करुणा दिखाना संविधान में निहित मूल्य है और यह अधिकारियों पर दायित्व डालता है कि वे इसे बनाए रखें।”