इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जो भी धार्मिक स्थल सड़क या रास्ते पर अतिक्रमण कर बनाए गए हैं उन्हें हटाया जाएगा। एक जनवरी 2011 के बाद पब्लिक रोड,सड़क,रास्ते, गली और साइड रोड पर अतिक्रमण कर बने मंदिर, मस्जिद और अन्य कोई भी धार्मिक स्थल तत्काल हटाने का निर्देश हाईकोर्ट ने दिया है। इसके अलावा एक जनवरी 2011 के पहले के अवैध धार्मिक या अन्य निर्माण को अगले 6 माहीने में शिफ्ट किया जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि 10 जून 2016 के बाद सड़क पर अतिक्रमण कर बने धार्मिक निर्माण की जबाबदेही डी एम,एस डी एम, सीओ एस पी, एस एस पी की होगी। कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को सर्कुलर जारी कर सड़क से यातायात में अवरोध उत्पन्न करने वाले सभी निर्माणों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने हर जिले के DM को आदेश दिया है कि वह 2 माहीने के भीतर अतिक्रमण पर कार्रवाई करे और उसकी सूचना विभाग को दें। ताकि मुख्य सचिव हाईकोर्ट में इसकी रिपोर्ट दें। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी और उसी दिन मुख्य सचिव को कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के मोहम्मद हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि कृषि भूमि वक्फ सम्पत्ति नहीं हो सकती है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने महमूद हुसैन द्वारा कृषि भूमि पर चौरयानी गांव में बनाई गई मस्जिद गरीब नवाज को अवैध करार दिया और जिलाधिकारी द्वारा नमाज पढ़ने की अनुमति न देने को सही माना। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ में वक्फ सम्पत्ति पर ही वक्फ मस्जिद को बनाया जा सकता है किसी दूसरे की सम्पत्ति पर वक्फ मस्जिद नहीं बनायी जा सकती।