Allahabad High Court ने प्रदेश के सभी कानूनों को सरकारी Website पर अपलोड करने के आदेश पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार के कदम पर्याप्त नहीं है। वेबसाइट पर नए संशोधनों के साथ पुराने कानून की जानकारी नहीं दी गई है। जिससे यह नहीं पता चल पाता है कि क्या संशोधन किया गया है।
Allahabad High Court में न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को होती है परेशानी
कोर्ट ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे एक ही क्लिक में सभी जानकारियां मिल सकें। इससे पूर्व कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अपने बनाए कानूनों और उनमें किए गए संशोधनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार के बनाये कानून और उन कानूनों में हुए संशोधन का प्राइवेट प्रकाशको द्वारा सही प्रकाशन न करने से न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को परेशानी होती है।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने लगायी फटकार

गलत प्रकाशित कानूनों के चलते कोर्ट को भी मुकदमों की सुनवाई के दौरान सही कानून की जानकारी नहीं मिल पाती है। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने बनाये किसी भी कानून को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करें ताकि आम जनता व कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों को कानून की सही जानकारी मिल सके।
पूरी जानकारी वेबसाइट पर नहीं है
इस आदेश के अनुपालन में प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि कानूनों को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने अपने स्टॉफ को वेबसाइट चेक करने के लिए कहा। वेबसाइट चेक करने पर पता चला कि सरकार ने कई कानून व संशोधनों को अपलोड तो किया है किन्तु उनसे भी पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी व्यवस्था करें जिससे एक ही क्लिक मेंं किसी कानून से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध् हो जाएं। याचिका की सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी।
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