इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (27 दिसंबर) को फर्ज़ी डिग्री के आधार पर नौकरी लेने वाले एक शिक्षक के मामले में सुनवाई करते हुए कई टिप्पणियां की। शिक्षक को उसके पद से बर्खास्त किया गया है। न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी की एक सदस्यीय पीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद शिक्षक की पुनर्स्थापन से इनकार कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा मन में खोट रखने वाले लोग न्याय की उम्मीद न करें, हाईकोर्ट ने कहा धोखा और न्याय एक साथ नहीं रह सकते, साफ हृदय वाला ही न्याय मांगने आ सकता है और उसे न्याय मिलेगा।
न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी ने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाना नियोक्ता के साथ धोखाधड़ी करना है। अगर किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति निरस्त होती है तो उसे उसे सहानुभूति पाने का कोई अधिकार नहीं है और ना ही किसी को उसके साथ सहानुभूति होनी चाहिए।
जस्टिस केसरवानी की बेंच, इंदिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जसवल गोरखपुर में कार्यरत एक सहायक शिक्षक, विष्णु शंकर सिंह को बर्खास्त करने के प्रस्ताव के मामले में सुनवाई कर रही थी। इंदिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रबन्ध समिति ने विष्णु शंकर सिंह को बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उसने विष्णु शंकर सिंह पर लगे उन आरोपों को सही पाया जिसके मुताबिक उसने शिक्षा शास्त्री और एमए की फर्ज़ी डिग्री प्रस्तुत कर सहायक शिक्षक की नौकरी हासिल की थी।
विष्णु शंकर सिंह को 29 जनवरी 2010 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। उसे 5 जुलाई, 1991 को इंदिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जसवल गोरखपुर में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक विष्णु शंकर सिंह की बर्खास्तगी को सही करार दिया और उसकी फिर से बाहली करने से की मांग को खारिज कर दिया।